पोखर की मछलियां - HUMSAFAR MITRA NEWS

Advertisment

Advertisment
Sarkar Online Center

Breaking

Followers


Youtube

Friday, June 12, 2020

लोककथा


पोखर की मछलियां

'हमसफर मित्र'। 

   एक राजा को मछलियां पालने का बेहद शौक था। राज परिसर के उपवन में उसने एक छोटा सा पोखर बनवा रखा था। उसमें तरह-तरह की मछलियां थी। राजा की सेवक भी उसके इस शौक को ध्यान में रखते हुए मछलियों को बेहद ध्यान रखते और उन्हें नियत समय पर अच्छा दाना देते।

   समय के साथ-साथ मछलियां बड़ी होने लगी। उनकी संख्या भी बढ़ गई। लेकिन पोखर में जगह तो सीमित ही थी। इस वजह से उसने उन मछलियों को तैरने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। वे धीरे-धीरे मुरझाने लगे।

   एक संत ने जब उस छोटे से पोखर में ढेर सारी मछलियां देखी तो उन्होंने राजा को परामर्श देते हुए कहा - राजन, मछलियों को इस तरह छोटे से दायरे में कैद करना अन्याय है। बेहतर होगा कि आप इन्हें विचरण के लिए मुक्त कर दे। न चाहते हुए भी राजा ने संत का परामर्श मानते हुए उन्हें पोखर से निकलवा कर समुद्र में डलवा दिया। ये मछलियां पोखर के बंधन की आदत हो चुकी थी। लिहाजा में तैरना भूल गई, और लहरों के थपेड़ों की चपेट में आकर अपने प्राण गवा बैठे।

   कुछ समय बाद राजा का निधन हो गया। यमराज के दरबार में पेशी हुई। उसके पाप-पुण्य का लेखा जोखा लेने के बाद उसे स्वर्ग और नरक की मध्यवर्ती पट्टी पर बिठा दिया गया। यह देख राजा हैरान रह गया। उसने अपनी इस विचित्र स्थिति का कारण जानना चाहा। इस पर उसे बताया गया कि मछलियों को बंधन मुक्त करना सद्कार्य था। इसके लिए उसे पुनः भी मिला है। पर साथ ही उनकी स्थिति का ध्यान ना रखने की वजह से पाप भी कम नहीं हुआ। इस वजह से इसका फल भी ऐसा असमंजस भरा मिलेगा। जैसा मछलियों को उपलब्ध हुआ।

No comments:

Post a Comment