जन्म के साथ मृत्यु और सुख के साथ दुख भी है आवश्यक - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Wednesday, December 20, 2023

 'प्रेरणा' 

जन्म के साथ मृत्यु और सुख के साथ दुख भी है आवश्यक

प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार', (संपादक) 

'हमसफ़र मित्र न्यूज' 







हसन नाम का एक सूफी फकीर था, एक दिन वह अपने शिष्य के साथ नाव में बैठने जा रहा था, तभी उनमें से एक शिष्य ने कहा, 'एक पिता अपने बच्चों को केवल खुशियां देने की कोशिश करता है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि इस दुनिया में जीतनी भी खुशियां हैं वे सभी हमें परम पिता ईश्वर की देन है, लेकिन यह गम किस लिए। ये दुख और शोक क्यों ? इस पर हसन ने कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि वह शांत भाव से अपनी नाव को एक पतवार से चलाते रहे। ऐसे में उनकी नाव गोल-गोल घूमने लगी, उसका संतुलन बिगड़ने लगा। तभी उनका शिष्य बोल पड़ा यह क्या कर रहे हैं आप, अगर आप एक ही पतवार से नाव चलाते रहे तो हम कभी भी गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाएंगे, हम एक ही जगह पर घूमते रह जाएंगे। क्या दूसरी पतवार टूट गई है या फिर आपके हाथ में दर्द हो रहा है ? एक काम किजिए, आप मुझे नाव चलाने दिजिए। हसन ने कहा जितना मैं सोचता था, तुम उससे ज्यादा समझदार निकले। अगर इस दुनिया में केवल खुशियां ही खुशियां होंगी तो हम कभी अपने निश्चित स्थान तक नहीं पहुंच पाएंगे। हम बस यूं ही घूमते रह जाएंगे। चीजों को सहज भाव से चलाने के लिए दोनों पक्षों की आवश्यकता होती हैं। आपको दिन के साथ रात भी चाहिए, कुछ वैसे ही जन्म के साथ मृत्यु और सुख के साथ-साथ दुख भी आवश्यक है। जब व्यक्ति यह बात समझ जाएगा कि जीवन के हर पल में, हर घटना में ईश्वर का ही हाथ है तो वह कृतज्ञ भाव से भर जाएगा।



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