'आज का सेहत'
जाने क्यों होता है सायटिका और क्या है इसके लक्षण…
प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार', (संपादक)
'हमसफ़र मित्र न्यूज'
अक्सर स्त्रियों को कमर में दर्द होता है, जिसको वे नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन कई बार यह किसी गंभीर परेशानी का संकेत भी हो सकता है।
शरीर का दर्द कई बार असहनीय होता है, लेकिन महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती हैं। कई बार शरीर का यह विशाल दर्द ‘सायटिका’ हो सकता है। वैसे तो सायटिका एक सामान्य परेशानी है, लेकिन इसे गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें पैर और लोअर बैक सुन्न पड़ सकते हैं और आपको कमजोरी महसूस हो सकती है। पैरों में दर्द या सायटिका का लक्षण प्रायः 40 वर्ष की उम्र के बाद दिखाई देता है, लेकिन आजकल बदलती जीवन-शैली ने कम उम्र में भी लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।
क्यों होता है सायटिका?
किसी भी रोगी को सायटिका का दर्द तब होता है, जब सायटिका तंत्र पर दबाव पड़ता है या इसकी क्षति होती है। सायटिका नर्व पीठ के पिछले हिस्से से प्रारम्भ होती है और प्रत्येक पैर के पीछे तक जाती है। यह नर्व घुटने के निचले और पैर के पिछले हिस्सों को नियंत्रित करती है। इन नसों में जहां-जहां सूजन होती है, वहां-वहां दर्द होता है। सायटिका का दर्द कभी भी नसों के दबने से नहीं होता, बल्कि नसों के बीच गद्दों में भरे कारावास के निकलने से होता है। नसों के दबने से पैरों में कमजोरी होती है, लेकिन महसूस नहीं होती है।
उम्र भी एक कारण:
सायटिका का दर्द उम्र के साथ बढ़ता है, क्योंकि यह अधिक उम्र के साथ होने वाली परेशानी है। लेकिन कभी-कभी कम उम्र में इस तरह की कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। कई बार शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने से भी इस तरह के दर्द का सामना करना पड़ता है।
दिखते हैं ये लक्षण:
सायटिका में तेज दर्द के अतिरिक्त शुरुआती दिनों में झनझनाहट और जलन होती है। साथ ही दर्द अक्सर एक तरफ होता है, जो पिंडलियों और पैर के तलवे में होता है। सायटिका से पीड़ित आदमी के पैर में कमजोरी महसूस होती है। खड़े होने और बैठने में दर्द महसूस होता है। दिन के एक निश्चित समय के दौरान खांसने-छींकने पर भी दर्द हो सकता है।
करें ये उपाय:
यह दर्द आपके लिए अधिक कठिनाई खड़ी न करे, इसके लिए आप हमेशा गद्देदार बिस्तर का इस्तेमाल न करें। साथ ही प्रतिदिन एक्सरसाइज करें। सायटिका से बचने के लिए रीढ़ की हड्डी का लचीला होना महत्वपूर्ण है, इसलिए रीढ़ की एक्सरसाइज जरूर करें। दर्द की आरंभ में भी कड़े व्यायाम प्रारम्भ न करें, इससे आपको कठिनाई हो सकती है। आप हल्के व्यायाम प्रारम्भ करें और उन्हें जारी रखें।
सर्दियों में खास ख्याल:
सर्दियों के मौसम में सायटिका की कठिनाई काफी बढ़ जाती है। ऐसे में आपको धूप सेंकना चाहिए, स्वयं को ढक कर और गरम रखने की प्रयास करनी चाहिए। कम उम्र में इस तरह की परेशानी स्वयं भी ठीक हो जाती है, लेकिन 90 दिन की फिजियोथेरैपी से रोगी को राहत मिलती है।
व्यायाम और खान-पान:
सायटिका का दर्द कई रोगियों के लिए असहनीय तो जरूर होता है, लेकिन मुनासिब खान-पान और व्यायाम से इस कठिन से बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, इसलिए ऐसे में रोज व्यायाम करें। साथ ही झटके से बचें और सावधानी से काम करें। सायटिका मूलतः डिस्क के उस हिस्से के फटने से होता है, जहां वर्टिब्रा कमजोर हो जाती है। हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा ठीक होने से वे मजबूत होती हैं और इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके लिए आप खान-पान का ख्याल रखें। हमेशा हरी साग-सब्जियों, ज्वार, बाजरा और रागी का सेवन करें। इनको जीवन-शैली में गेहूं और चावल के साथ जोड़ें।
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