शुभ कर्म कर आध्यात्मिक सुख प्राप्त करे - - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Monday, August 30, 2021

 

शुभ कर्म कर आध्यात्मिक सुख प्राप्त करे -

आलेख - ज्योतिष कुमार 

'हमसफर मित्र न्यूज' 


     



    मन में भौतिक सुख भोगने की बड़ी-बड़ी इच्छाएं रखना ही दुख का कारण है। इन इच्छाओं को छोड़कर तथा शुभ कर्म करके आप आध्यात्मिक सुख को प्राप्त कर सकते हैं।

       संसार में दो प्रकार का सुख है। एक भौतिक सुख, रूप रस गंध आदि विषयों का सुख, जो नेत्र, रसना आदि इंद्रियों से भोगा जाता है। और दूसरा आध्यात्मिक सुख, जो यज्ञ दान ईश्वर की उपासना आदि शुभ कर्म करने पर, मन से भोगा जाता है।

            इंद्रियों से जो सुख मिलता है, वह क्षणिक सुख होता है। उससे तृप्ति नहीं होती । शांति नहीं मिलती। थोड़ी देर तो अच्छा लगता है, फिर थोड़ी देर बाद व्यक्ति उससे ऊब जाता है, बोर हो जाता है। एक विषय (रूप) सुख से बोर हो कर, वह अपना विषय बदल देता है, और दूसरे विषय (रस) का सुख भोगने लगता है। कुछ समय बाद उससे भी बोर हो कर फिर विषय बदल लेता है, और गंध का सुख लेने लगता है। परन्तु उसे शान्ति किसी भी इंद्रिय के विषय में नहीं मिलती।धीरे-धीरे इन भौतिक सुखों को भोगते हुए वह इंद्रियों का गुलाम हो जाता है। अतः यह सुख भोगना अच्छा नहीं है।

        दूसरा आध्यात्मिक सुख है, जो मन से भोगा जाता है। वह शुभ कर्मों के करने से मिलता है। जैसे यज्ञ करना, ईश्वर का ध्यान करना, प्राणियों की रक्षा करना, माता पिता की सेवा करना, अतिथि विद्वान संन्यासी की रक्षा करना, समाज सेवा परोपकार करना, प्राणियों को भोजन देना, वेदों का प्रचार करना, किसी व्यक्ति की समस्या सुलझा देना, उसे किसी प्रकार का सहयोग देना इत्यादि।"

         इन कर्मों को करने से व्यक्ति को अंदर से मन में बड़ा सुख मिलता है। इसे आध्यात्मिक सुख कहते हैं। *"यह सुख भौतिक विषयों के सुख की तुलना में बहुत अच्छा है। शांतिदायक है। तृप्तिदायक है।" इस आध्यात्मिक सुख को भोगने से व्यक्ति मन इंद्रियों का राजा बन जाता है, और अपनी इच्छानुसार अपने समय तथा अपने मन इंद्रियों का भी उत्तम कार्यों में उपयोग करता है। इसलिए अध्यात्मिक सुख को भोगना अधिक अच्छा है।

       अब यदि आप अध्यात्मिक सुख को भोगना चाहते हों, तो इसकी पहली शर्त यह है, कि आपको सांसारिक सुख की इच्छा कम करनी पड़ेगी। धीरे-धीरे उसे छोड़ना होगा।" "जैसे व्यक्ति सम्मान का सुख चाहता है, धन का सुख चाहता है, संतान परिवार अथवा शिष्यों का सुख चाहता है, ये सारे सुख इंद्रियों से भोगे जाने वाले हैं। यदि आप इनको छोड़ने का विचार बनाएं, धीरे-धीरे इन सुखों को भोगना छोड़ते जाएं, तो आप धीरे-धीरे आध्यात्मिक आनंद को प्राप्त कर सकेंगे, और आपको जीवन में शांति मिलेगी। 



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