'प्रेरक कहानी' : दान की महिमा... - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Thursday, May 13, 2021

 'प्रेरक प्रसंग' 

दान की महिमा

प्रस्तुति - 'एम. के. सरकार (संपादक) 

' हमसफर मित्र न्यूज '





एक बार एक व्यक्ति महात्मा गांधी के पास आकर बोला,' बापू यह दुनिया बड़ी बेईमान है।मैंने धर्मशाला बनवाने के लिए ढेर सारा धन दिया,लेकिन यह जानते हुए भी लोगों ने मुझे उस उसकी प्रबंध समिति से हटा दिया। बताइए, यह कहाँ का इंसाफ है।'गांधी जी बोले,'भाई , तुम्हें निराशा इसलिए हो रही है , क्योंकि तुम दान का सही अर्थ नहीं जानते। किसी वस्तु अथवा धन को दान देकर उससे प्राप्ति की आशा करना दान नहीं ,व्यापार है। असली दान वह होता है जिसे तुम इस प्रकार दो कि दूसरा हाथ भी न समझ पाए कि तुमने दान दिया है। दान गुप्त होना चाहिए। दान का गुणगान करने से तो उसका कोई मूल्य ही नहीं रह जाएगा।

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