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Thursday, May 13, 2021

 

ना बुखार ना ही खांसी, बस अॉक्सीजन लेबल कम से जा रहें है जान 

'हमसफर मित्र न्यूज' 


ना बुखार हैं ना ही खांसी, इन लक्षणों के बिना भी मरीज की जान जा रहे हैं। इसका असली वजह अब पता चला है कि केवल अॉक्सीजन लेबल कम होने के कारण मरीजों की जान जा रही है। कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच हैपी हाइपोक्सिया बना जानलेवा मर्जबिना लक्षण वाले मरीजों में अचानक गिरने लग रहा ऑक्सीजन का लेवलयुवाओं का ऑक्सिजन सैचुरेशन अचानक कम होने की वजह से जा रही है जानअभिषेक गौतम, नोएडाकोरोना काल में एक तरफ ब्लैक फंगस डॉक्टरों के लिये चुनौती बन रहा है तो दूसरी तरफ हैपी हाइपोक्सिया कोरोना संक्रमित के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। कोविड अस्पताल में इससे पीड़ित कई मरीज सामने आए हैं। इन मरीजों में कोई लक्षण नहीं था, फिर एकाएक ऑक्सिजन का लेवल घटता चला गया। इलाज के दौरान इस बीमारी से पीड़ित कई मरीज की मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना मरीजों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखता। मरीज अपने आप को ठीक ही महसूस करता है, लेकिन अचानक ऑक्सिजन लेवल गिरने से स्थित गंभीर हो जाती है।सेक्टर 39 कोविड अस्पताल की एमएस डॉ. रेनू अग्रवाल का कहना है कि बिना किसी लक्षण युवाओं का ऑक्सिजन सैचुरेशन अचानक कम होने की वजह से कई युवाओं की जान जा चुकी है। इस स्थिति में मरीज कोई पता नहीं चलता, लेकिन उसका फेफड़ा 70 प्रतिशत खराब होने के बाद अचानक ऑक्सिजन सैचुरेशन गिर रहा है। ऐसे में युवाओं को ज्यादा गंभीर होने की जररूत है। क्योंकि वह लक्षण को ज्यादा इग्नोर करते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि युवाओं की इम्युनिटी मजबूत होती है, जिसकी वजह से संक्रमण होने पर माइल्ड लक्षण आते हैं। इन लक्ष्णों को युवा नजरअंदाज करते हैं। विशेषज्ञ का मानना है कि अगर आपके शरीर का ऑक्सिजन सैचुरेशन 94% से कम है और आपको कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो यह हाइपोक्सिया है। युवा इसे नजरअंदाज न करें।क्या है हैपी हाइपोक्सिया?डॉ. सुनील बालियान का कहना है कि हैपी हाइपोक्सिया कोरोना का एक नया लक्षण है। इसमें संक्रमति मरीज को बुखार, खांसी, सांस फूलने की समस्या नहीं होती है, लेकिन अचानक ऑक्सिजन लेवल गिरने से मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। हाइपोक्सिया किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंग काम को प्रभावित करता है।दिन में दो से तीन बार चेक करें ऑक्सिजन लेवलजानकारी के मुताबिक, हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाते हैं। इससे फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन सप्लाई नहीं होती और खून में ऑक्सिजन सैचुरेशन कम होने लगता है। सेक्टर 39 कोविड अस्पताल के डॉ. टीके सक्सेना का कहना है कि मरीज बिल्कुल ठीक होता है। अचानक उसका ऑक्सिजन लेवल 70% व 80% हो जाता है, जिससे उसकी सांसें उखड़ने लगती हैं। ऐसे स्थिति में मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं। इसके अलावा कोरोना संक्रमति को दिन में 2 से 3 बार ऑक्सिजन सैचुरेशन चेक करें।हैप्पी हाइपोक्सिया को कैसे पहचानें?डॉ सुनील का कहना है कि अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो आप एक सांस में 30 तक गिनती गिने। इस दौरान अगर सांस लेने के दिक्कत आती है तो डॉक्टर के पास जाएं। यहीं हैपी हाइपोक्सिया के लक्षण 6 से 9 दिन के बीच आते हैं। इस दौरान आप 6 मिनट तक टहला करें। उसके बाद ऑक्सिजन लेवल चेक करें। अगर ऑक्सिजन सैचुरेशन 94% से कम आता है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं।

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