पीडीएस गोदाम से राशन दुकानों तक चावल पहुंचते ही हो जाता है गायब - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Tuesday, May 25, 2021

 { गरीबों के हिस्से पर डाला जा रहा डांका }

 पीडीएस गोदाम से राशन दुकानों तक चावल पहुंचते तक हो जाता है गायब 

पं. गणेशदत्त राजू तिवारी की रिपोर्ट 

'हमसफर मित्र न्यूज' 





पीडीएस गोदाम से राशन दुकानों तक पहुँचते चांवल के प्रत्येक कट्टा से गायब हो जाता है 2 से 5 किलों चांवल, सोसायटी संचालकों द्वारा कमी बताने पर अधिकारी नही दे रहे ध्यान, आखिर कौन हो रहा मालामाल...? 


  छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों को एक रुपए किलो की दर से चांवल शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से मुहैया करा रही है ताकि कोई भी गरीब भूखा न रहे वहीं वर्तमान कोरोना संकट काल में 2 माह क्रमश मई एवं जून का चांवल हितग्राहियों को निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है किंतु पीडीएस गोदाम से निकलकर उचित मूल्य की दुकानों तक पहुँचते- पहुँचते प्रत्येक कट्टा में 2 से 5 किलो गरीबो के हक का वह चावल गायब हो जा रहा है जबकि तौल में प्रत्येक कट्टा पे बोरे के वजन के अलावा चांवल का भार 50 किलोग्राम होनी चाहिए लेकिन कट्टा में भरा चांवल महज 45 से 48 किलोग्राम ही रहता है और ऐसा अभी से नही बल्कि पिछले लंबे समय से होता चला आ रहा है। इस मामले में पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आया कि पंचायतों में संचालित शासकीय राशन दुकानों का संचालन पंचायत प्रतिनिधि या महिला समूह अथवा लेम्प्स समिति द्वारा किया जा रहा है जहां परिवहन के माध्यम से पहुँचने वाला चांवल निर्धारित मात्रा से कट्टा में कम होने के कारण हितग्राहियों को वितरण करने में उन्हें भारी परेशानी हो रही है और दुकान संचालनकर्ता असमंजस में है। जिसके कारण अनेक वितरणकर्ता सोसायटियों में पहुँचने वाले चांवल का मौके पे तौल कराकर पूरा आबंटन प्राप्त कर रहे है। ऐसा भी नही है कि संबंधित अधिकारी इस मामले से अनभिज्ञ हो बल्कि बोरे में निर्धारण से कम चांवल रहने की जानकारी खाद्य अधिकारी पाली को भी अनेकों सोसायटी संचालकों द्वारा काफी पूर्व दी जा चुकी है किंतु फटे पुराने बोरे होने के कारण परिवहन के दौरान थोड़ा बहुत चांवल गिर जाने की बात कहते हुए उक्त अधिकारी अपना पल्ला झाड़ते आ रहे है जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। अब यहाँ पर सवाल यह उठता है कि नए बारदानों में भरे चांवल में भी 2 से 5 किलोग्राम आखिर गायब कैसे हो जाता है जबकि वे बारदाने न तो कहीं से फटे होते है और न ही पुराने फिर सीलबंद बोरे से चांवल गायब होना सोचनीय पहलू है, या कहीं मामला सेटिंग का तो नही जिसके कारण इससे जुड़े नौकरशाह इस ओर ध्यान देना नही चाह रहे हो...? ऐसे में बदहाल प्रशासनिक पीडीएस व्यवस्था के कारण गरीबों के हिस्से के चांवल पर बड़े पैमाने में डांका डाला जा रहा है और यह कृत्य कहां तथा किसके इशारे पे किया जा रहा है इसे प्रशासन द्वारा गंभीरता से संज्ञान में लिया जाना अतिआवश्यक विषय है।

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