कविता : मेरी माँ के कई रूप - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Sunday, May 9, 2021

 मातृ दिवस पर विशेष 

मेरी मां के कई रूप

'हमसफर मित्र न्यूज' 

शब्दकोष का सबसे छोटाशब्द है माँ,

पर सचमुच शब्दातीत है मां।

समाये हैं कितने अर्थ इस एक शब्द में।

भावातीत, गुणातीत और अर्थातीत है मां।।

ब्रह्मा बनकर तूने जन्म दिया,

विष्णु बनकर पाला।

तू ही तो है बच्चे की पहली पाठशाला।।

तेरी डाँट में भी है छिपा प्यार।

तू ही है मेरा सच्चा यार।।

तेरी महिमा का कोई कैसे करे बखान।

तू तो है भगवान से भी अधिक महान।।

खुद भूखी रहकर सबको खिलाती है मां।

भगवान को भी धरती पर लाती है मां।।

तू गंगा सम पावन बड़ी मनभावन।

तू ही मेरी गीता तू ही है रामायण।।

तू ही चारों वेद और अट्ठारह पुराण।

तेरे उपकारों को न सकता मैं गिन।

तेरे ऋण से न हो सकता उऋण।।

धरती सा धैर्य सागर सी गहराई।

आकाश की ऊंचाई तुझमें समाई।।

तेरे आँचल में बहती अमृत रस धार।

तुझमें भरा है मां प्यार ही प्यार।।

तू है परमात्मा का अनुपम उपहार।

हे माता तुझे  सव नमन बार बार।।



मातृदिवस की 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
शुभकामनाओं सहित🙏🏻🙏🏻
पंड़ित  श्री प्रदुम्न  महाराज

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