300 वर्ष पुराना सरोना मन्दिर तालाब के कछुआ का निधन हो गया था। इनकी आत्मा की शान्ति के लिये प्रार्थना करें..
सौजन्यः ठाकुर हरि सिह पुरातात्विक शोध कर्ता कोरबा।
'पं. गणेशदत्त राजू तिवारी'
'हमसफर मित्र न्यूज'
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सरोना तालाब में करीब 329 वर्ष के कछुए की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि, कछुआ काफी दिनों से बीमार चल रहा था। वहीं लोगों का कहना है कि, कछुआ गर्मी के चपेट में आ गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि, रायपुर स्थित सरोना तालाब अपनी अलग धार्मिक पहचान बनाया हुआ है। यहाँ पर सास-बहु नामक दो तालाब हैं, जो एक-दूसरे से एक ही स्त्रोत से जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि, बरसात के दिनों में जब इन तालाबों में बाढ़ आती है, तब ये दोनों तालाब मनुष्यों की भांति एक-दूसरे की मदद करते हैं। साथ ही इन तालाबों में निवासरत मछलियों और कछुओं को नहीं पकड़ा जाता और ना ही उनका भक्षण किया जाता है। सरोना का यह स्थान प्राचीन शिव मंदिर के कारण पूरे क्षेत्र में विख्यात है। स्थानीय निवासी ठाकुर जनक सिंह ने बताया है कि, यह बहुत ही दुखद घटना है। कछुआ काफी पुराना था, मृत कछुए को पूरे सम्मान के साथ शिव मंदिर परिसर में दफना दिया गया है। वहीं दीनदयाल उपाध्याय नगर थाना प्रभारी पृथ्वी दुबे ने बताया कि घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई है, वन विभाग को इसकी जानकारी है या नहीं इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
तालाब का निर्माण सरौना वाले उम्मीदी सिंह जी, ने संतान प्राप्ति हेतु करवाया था।जिससे ठाकुर गुलाब सिंह जी हुए थे।
बचपन में इस तालाब में खुब नहाया करता था। इन कछुओं को भोजन भी कराया करता था। अब तो इनकी यादें ही शेष हैं।
No comments:
Post a Comment