रक्षा बंधन की शुरुआत यहां से हुई थी - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Sunday, August 2, 2020


रक्षा बंधन की शुरुआत यहां से हुई थी 

'हमसफर मित्र'। 

रक्षाबंधन का पावन पर्व 03 अगस्त सोमवार को श्रवण नक्षत्र मे ही मनाया जाएगा।
इस दिन सोमवार और सोम का ही नक्षत्र होने से यह महामुहूर्त बन रहा है।भद्रा सुबह ही समाप्त हो जाऐगी इस दिन राखी बांधने का मुख्य समय भद्रा के समाप्ति के बाद सुबह 09:28 मिनट से रात्रि 09:14मिनट तक है।इस दिन चंद्रमा अपने ही नक्षत्र और मकर राशि में रहेंगे, इसलिए भद्रा का वास पाताल मे रहेगा, अतः इस बार भद्राकाल भय भी नहीं रहेगा और यह पर्व सभी भाई बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा।
अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये हर बहन रक्षा बंधन के दिन का इंतजार करती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पिछे कहानियां हैं। यदि इसकी शुरुआत के बारे में देखें तो यह भाई-बहन का त्यौहार नहीं बल्कि विजय प्राप्ति के किया गया रक्षा बंधन है। भविष्य पुराण के अनुसार जो कथा मिलती है वह इस प्रकार है।

बहुत समय पहले की बाद है देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गये और सलाह मांगी। बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए।
वर्तमान में यह त्यौहार बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है। एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है।

रक्षा बंधन पर्व तिथि व मुहूर्त
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 09:28 से 09:14
अपराह्न मुहूर्त- 01:46 से 04:26
प्रदोष काल मुहूर्त- 08:06 से 09:14
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 09:28 (2 अगस्त)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 09:27 (3 अगस्त)
भद्रा समाप्त: 09:28


पंडित गणेशदत्त राजू तिवारी मल्हारजिलाध्यक्ष
विश्व ब्राह्मण महापरिषद संगठन बिलासपुर छत्तीसगढ़
9098571220

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