लालच की खोपड़ी - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Monday, September 23, 2024

 'आज की कहानी' 

लालच की खोपड़ी

प्रस्तुति - मदन शास्त्री 'धरैल', नालागढ़, हिमाचल प्रदेश 

'हमसफ़र मित्र न्यूज' 



एक राजमहल के द्वार पर बड़ी भीड़ लगी थी। किसी फकीर ने सम्राट से भिक्षा मांगी थी। सम्राट ने उससे कहा, “जो भी चाहते हो, मांग लो।


” दिवस के प्रथम याचक की कोई भी इच्छा पूरी करने का उसका नियम था।


उस फकीर ने अपने छोटे से भिक्षापात्र को आगे बढ़ाया और कहा, “बस इसे स्वर्ण मुद्राओं से भर दो ।”


सम्राट ने सोचा इससे सरल बात और क्या हो सकती है!


लेकिन जब उस भिक्षा पात्र में स्वर्ण मुद्राएं डाली गई, तो ज्ञात हुआ कि उसे भरना असंभव था।

“वह तो जादुई था”

जितनी अधिक मुद्राएं उसमें डाली गई, वह उतना ही अधिक खाली होता गया!


सम्राट को दुखी देख वह फकीर बोला,

“न भर सको तो वैसा कह दो ”

मैं खाली पात्र को ही लेकर चला जाऊंगा! ज्यादा से ज्यादा इतना ही होगा कि लोग कहेंगे कि सम्राट अपना वचन पूरा नहीं कर सके !”


सम्राट ने अपना सारा खजाना खाली कर दिया, उसके पास जो कुछ भी था, सभी उस पात्र में डाल दिया गया, लेकिन अद्भुत पात्र न भरा, सो न भरा। तब उस सम्राट ने पूछा,”भिक्षु, तुम्हारा पात्र साधारण तो नहीं है।

उसे भरना मेरी सामर्थ्य से बाहर है।


क्या मैं पूछ सकता हूँ कि इस अद्भुत पात्र का रहस्य क्या है?”


वह फकीर हँसने लगा और बोला,

” कोई विशेष रहस्य नहीं ”


यह पात्र मनुष्य की खोपड़ी से बनाया गया है। क्या आपको ज्ञात नहीं है कि मनुष्य के लालच की खोपड़ी को कभी भी भरा नहीं जा सकता?”


धन से, पद से, ज्ञान से- किसी से भी भरो, वह खाली ही रहेगी, क्योंकि इन चीजों से भरने के लिए वह बनी ही नहीं है।


इस सत्य को न जानने के कारण ही मनुष्य जितना पाता है, उतना ही दरिद्र होता जाता है। इसकी इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं….!





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