कहानी : दोस्ती की आग - HUMSAFAR MITRA NEWS

Advertisment

Advertisment
Sarkar Online Center

Breaking

Followers


Youtube

Saturday, September 30, 2023

 आज की कहानी

   दोस्ती की आग 

'हमसफर मित्र न्यूज' 



गुरु नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी ,उसने अपने मालिक से मदद मांगी । मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी , शर्त ये थी कि गुरु को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी, अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता।


गुरु जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं . उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है . घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त तेजल के पास पहुंचा और सारी बात बता दी ।


तेजल ने कुछ देर सोचा और बोला, “ चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा . कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा 


तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना ; वो तुम्हे गर्म रखेगी।


और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा 


गुरु अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर तेजल भी आग जल कर बैठा था ।


अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से गुरु ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली ।मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए ।


इनाम मिलते ही वो तेजल के पास पहुंचा, और बोला,  “ तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे ..


तेजल बोला, “ हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं . मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे ।


गुरु ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया ।


        शिक्षा - 


मित्रों, कहते हैं दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं . सचमुच अगर हम अपनी जिंदगी से “दोस्तों ” को minus कर दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे … दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता …दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो …


प्रस्तुति - चन्द्रशेखर तिवारी, बिल्हा



No comments:

Post a Comment