'आज का सेहत'
विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2023: लिवर को धीरे-धीरे खा जाता है हेपेटाइटिस वायरस, जानें कैसे करें हेपेटाइटिस से पूर्ण बचाव
प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार' (संपादक)
'हमसफर मित्र न्यूज'
विश्व हेपेटाइटिस दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है. यह एक अहम अंतर्राष्ट्रीय दिन है जो हेपेटाइटिस बी और सी जैसी जानलेवा बीमारियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का उद्देश्य रखता है. इस दिन के माध्यम से लोगों को हेपेटाइटिस बी और सी के बारे में जागरूक बनाया जाता है और इन बीमारियों के प्रति उच्चतम संवेदनशीलता पैदा की जाती है.
हेपेटाइटिस वायरल इन्फेक्शन का एक समूह है, जो हमारे लिवर को प्रभावित करता है. समय रहते इन संक्रमणों का पता लगाने और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि इसके लक्षणों की पहचान करें और इसकी जांच करवाएं. हर साल की तरह इस साल भी दुनियाभर में 28 जुलाई के दिन 'विश्व हेपेटाइटिस दिवस' के तौर पर मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें.
हेपेटाइटिस कितने तरह के होते हैं?
हेपेटाइटिस वायरस के कई प्रकार हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई. ये सभी प्रकार लिवर को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकते हैं.
हेपेटाइटिस का पता कैसे लगाएं?
ब्लड टेस्ट से इसकी पहचान की जा सकती है. इसके अलावा लिवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भी हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों की जांच की जाती है. टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह पर तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए. प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी जांच अवश्य करवानी चाहिए. कोई भी लक्षण नजर आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
हेपेटाइटिस के लक्षण
हेपेटाइटिस ए (HAV): बुखार, पेट में दर्द, थकान और खांसी
हेपेटाइटिस बी (HBV): बुखार, शरीर में दर्द, याददाश्त में कमी, उलटी व पेट दर्द और पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना)
हेपेटाइटिस सी (HCV): थकान, खांसी और जोड़ों में लगातार पीड़ा
हेपेटाइटिस डी (HDV): बुखार, शरीर में दर्द, उल्टी व पेट दर्द और पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना)
हेपेटाइटिस ई (HEV): पेट का दर्द, उल्टी, अपच और भूख की कमी
हेपेटाइटिस से रोकथाम के लिए क्या करें?
कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस (ए और बी) के लिए टीके उपलब्ध हैं. इन संक्रमणों से खुद को बचाने के लिए टीकाकरण एक शानदार तरीका है.
हेपेटाइटिस से संक्रमित रोगी को डॉक्टर से नियमित जांच करवानी चाहिए.
यह संक्रमण मानसून के दौरान अधिक फैलता है, इसलिए इस मौसम में तेलीय, मसालेदार, विषाक्त पदार्थों और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें. फास्ट फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट्स, आदि से परहेज करना चाहिए.
मांसाहारी भोजन व शराब का पूर्ण रूप से त्याग करें. पानी को उबालकर पिएं.
विटामिन सी रिच खट्टे फल, पपीता, नारियल पानी, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का अच्छे से सेवन करें.
संक्रमित व्यक्ति के रेविंग रेजर, टूथब्रश और सुई, नाखून कतरनी जैसी निजी वस्तुओं का उपयोग ना करें, इससे भी संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है
गर्भवती महिला को संक्रमण होने पर इलाज जरूर करवाएं.
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