'आज का सेहत'
किडनी की बीमारी क्या है, इसके लक्षण, कारण और इलाज भी जानें
प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार' (संपादक)
'हमसफर मित्र न्यूज'
क्रोनिक किडनी डिजीज यानी गुर्दे से जुड़ी गंभीर बीमारी को क्रोनिक किडनी फेलियर भी कहा जाता है. इसमें किडनी धीरे-धीरे कार्य करना कम कर देती है. दरअसल किडनी का काम आपके रक्त से अतिरिक्त तरल और गंदगी को छानकर स्वच्छ रक्त को शरीर में वापस और गंदगी को मूत्र के जरिए शरीर से बाहर करना है. यानी आसान भाषा में कहें तो किडनी का काम खून को साफ करना और गंदगी को शरीर से बाहर करना है. क्रोनिक किडनी डिजीज जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है तो इसकी कार्यकुशता में कमी के चलते शरीर में अतिरिक्त तरल, इलेक्ट्रोलाइट्स और गंदगी जमा होने लगती है.
क्रोनिक किडनी डिजीज के शुरुआती चरण में आपको कुछ लक्षण और संकेत दिखाई दे सकते हैं. हो सकता है कि आप उन लक्षणों को नजरअंदाज कर दें और जब तक गंभीर लक्षण न दिखाई दें, तब तक आपको किडनी की बीमारी का पता ही न चले. क्रोनिक किडनी डिजीज के इलाज के दौरान किडनी को होने वाले नुकसान की गति को धीमा धीमा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. आमतौर पर इसके कारणों को नियंत्रित करके ऐसा किया जाता है. हालांकि, कई बार कारणों को नियंत्रित करने के बावजूद भी किडनी को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद नहीं मिलती है. गंभीर किडनी रोग अंतत: किडनी फेलियर की तरफ बढ़ता है, जो कृत्रिम तरीके से गंदगी को फिल्टर करने (Dialysis) या किडनी ट्रांस्प्लांट के बिना घातक हो सकता है.
यदि किडनी को धीरे-धीरे नुकसान हो रहा है तो क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण और संकेत विकसित होने में समय लगता है. किडनी की कार्यकुशलता में कमी की वजह से शरीर में अतिरिक्त द्रव, इलेक्ट्रोलाइट्स और गंदगी जमा हो जाती है. किडनी की बीमारी कितनी गंभीर है उसके अनुसार ही आपको निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं.
आमतौर पर किडनी की बीमारी के लक्षण और संकेत स्पष्ट नहीं होते. इसका मतलब है कि वे लक्षण अन्य बीमारियों की वजह से भी हो सकते हैं. क्योंकि किडनी अपनी कार्यक्षमता में हुई कमी को ठीक कर सकती हैं, इसलिए आपको तब तक लक्षण महसूस नहीं होते, जब तक कि नुकसान ऐसा न हो, जिसे किडनी स्वयं ठीक न पाएं.
अगर आपको किडनी से जुड़ी बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से मिलें. समस्या का जल्द निदान होने पर उसे गंभीर समस्या बनने से पहले ही रोका जा सकता है. अगर आपकी चिकित्सा स्थिति ऐसी है, जिसकी वजह से किडनी की बीमारी का जोखिम बढ़ता है तो आपके डॉक्टर आपका ब्लड प्रेशर चेक करेंगे. इसके अलावा वह किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), यूरिन और ब्लड टेस्ट भी करने की सलाह देंगे. अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछें कि क्या यह टेस्ट आपके लिए बहुत जरूरी हैं.
क्रोनिक किडनी डिजीज तब होती है, जब कोई बीमारी या स्थिति किडनी के कार्य में बाधा डालती है, किडनी को नुकसान पहुंचाती है. इसमें कई महीने और वर्षों भी लग सकते हैं. निम्न बीमारियां और स्वास्थ्य स्थितियां क्रोनिक किडनी डिजीज के लिए जिम्मेदार होती हैं.
ऊपर बताए गए कारणों के अलावा कुछ रिस्क फैक्टर भी हैं, जिनकी वजह से किडनी रोग हो सकते हैं. इन रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं –
आपकी किडनी रोग का निदान करने से पहले डॉक्टर आपसे आपकी व्यक्तिगत जिंदगी और पारिवारिक इतिहास के बारे में कुछ जानकारी लेंगे. कई अन्य प्रश्नों के साथ ही वे आपसे पूछ सकते हैं कि क्या आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है? क्या आपने कभी कोई ऐसी दवा का सेवन किया है, जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है? क्या आपको पहले के मुकाबले अधिक या कम पेशाब आ रहा है? क्या आपके परिवार में किसी को किडनी रोग है? इसके बाद डॉक्टर आपका फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे और समस्या के लक्षणों की पहचान करेंगे, जिसमें वह हृदय और रक्त वाहिकाओं की जांच के लिए न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी कर सकते हैं. किडनी रोग का निदान और चरण जानने के लिए डॉक्टर निम्न कुछ टेस्ट लिख सकते हैं –
किडनी रोग का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है. कुछ प्रकार के किडनी रोगों का इलाज आसानी से किया जा सकता है. हालांकि, माना जाता है कि क्रोनिक किडनी डिजीज का इलाज नहीं हो सकता है.
इसके इलाज में आमतौर पर लक्षणों को नियंत्रित करने, जटिलताओं को कम करने और किडनी रोग की बढ़ने की रफ्तार को धीमा करने के उपाय शामिल होते हैं. अगर आपकी किडनी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं तो आपको बीमारी के अंतिम चरण के इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है.
आपके डॉक्टर आपकी किडनी की बीमारी के कारणों को नियंत्रित करने या बीमारी की रफ्तार को धीमा करने के लिए काम करेंगे. उपचार के विकल्प इसके कारणों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. अगर डायबिटीज मेलिटस और हाई ब्लड प्रेशर जैसा कोई अंतर्निहित कारण हैं तो इलाज के बावजूद आपकी किडनी की स्थिति लगाकार खराब हो सकती है.
किडनी की बीमारी से जुड़ी जटिलाओं को निम्न उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है, ताकि आपको बेहतर महसूस हो.
हाई ब्लड प्रेशर की दवा देकर, जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति बिगड़ सकती है. आपके डॉक्टर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दे सकते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं शुरुआत में किडनी के कार्य में बाधा डाल सकती हैं और इलेक्ट्रोलाइट के स्तर में बदलाव आ सकता है. इसलिए आपकी स्थिति की सही जांच के लिए आपको कुछ ब्लड टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं. आपके डॉक्टर आपको डायूरेटिक और कम नमक के खाने की सलाह दे सकते हैं.
सूजन को कम करने के लिए दवाएं –
जिन लोगों को क्रोनिक किडनी रोग होते हैं, उनके शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं. इससे पैरों में सूजन बढ़ सकती है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. डायूरेटिक की मदद से शरीर में तरल पदार्थ को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.
एनिमिया के इलाज की दवा –
अरिथ्रोपोइटिन हार्मोन के सप्लीमेंट में अतिरिक्त आयरन की मात्रा से रेड ब्लड सेल बनाने में मदद मिलती है. इसके सेवन से एनीमिया से जुड़ी थकावट और कमजोरी दूर होती है.
कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की दवा –
डॉक्टर आपके कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए स्टैटिन्स नाम की दवा का सुझाव दे सकते हैं. किडनी रोग से पीड़ित मरीजों में अक्सर बैड कॉलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर पाया जाता है. इससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
हड्डियों की रभा करने वाली दवाएं –
कैल्सियम और विटामिन डी सप्लीमेंट की मदद से आपकी कमजोर हड्डियों को बचाया जा सकता है और किसी तरह के फ्रैक्चर के खतरे को कम किया जा सकता है. इसके अलावा आपको फॉस्फेट बाइंडर भी दिया जा सकता है, जिससे आपके रक्त में मौजूद फॉस्फेट को कम किया जाए और कैल्सीफिकेशन की वजह से रक्त वाहिकाओं को नुकसान न पहुंचे.
हमारा शरीर भोजन से प्रोटीन निकाल लेता है. इस प्रक्रिया में काफी मात्रा में वेस्ट बनता है, जिसे किडनी ब्लड से साफ करती हैं. किडनी का काम कम करने के लिए आपके डॉक्टर प्रोटीन का सेवन कम करने को कह सकते हैं. एक अच्छा डायटीशियन आपको हेल्दी डाइट देने के साथ आपके प्रोटीन इनटेक को कम करने में मदद कर सकता है.
जब किडनी की बीमारी अंतिम चरण में हो तो फिर डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे विकल्प ही बचते हैं.
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