नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सम्पूर्ण जीवन कहानी - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Monday, January 23, 2023

 


नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सम्पूर्ण जीवन कहानी 

प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार' (संपादक) 

'हमसफर मित्र न्यूज' 






नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आज 126 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक नामक स्थान पर हुआ | उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे तथा उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था | चौदह भाई-बहनों में से वे नौवी सन्तान थे | उनके पिता कटक की महापालिका में लम्बे समय तक रहे | वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे | अंग्रेजो ने जानकीनाथ बोस को रायबहादुर का खिताब दिया था | सुभाषचंद्र स्कूल और कॉलेज स्तर पर एक योग्य छात्र रहे |


सुभाषचंद्र बोस विवेकानंद की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित रहे तथा छात्र जीवन से ही देश-प्रेम की भावना के लिए प्रसिद्ध रहे | 1919 में वे इंडियन सिविल सर्विस की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए इंग्लैंड गये तथा चतुर्थ स्थान पर सफल घोषित हुए | जलियांवाला बाग़ हत्याकांड से व्यथित होकर उन्होंने सिविल सर्विस से त्यागपत्र दे दिया और देश  लौट आये | 1921 में कलकत्ता के स्वतंत्रता सेनानी देशबन्धु चितरंजन दास के कार्य से प्रेरित होकर वे स्वतंत्रता आन्दोलन में जुट गये |


20 जुलाई 1921 को बोस , महात्मा गांधी से मिले जो उस समय अंग्रेजो के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे | 1922 में चितरंजन ने स्वराज्य पार्टी बनाई जिस पर सुभाषचंद्र बोस ने महापालिका का चुनाव लड़ा और जीते | अपने कार्यकाल में वहां का पूरा ढांचा बदला और काम करने का तरीका भी बदल डाला | कलकत्ता के रास्तो के अंग्रेजी नाम बदलकर भारतीय नाम दिए | बहुत शीघ्र वे एक महत्वपूर्ण युवा नेता बन गये |


जवाहरलाल नेहरु के साथ सुभाषचंद्र ने कांग्रेस के अंतर्गत युवको की independence League शुरू की | 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो कांग्रेस ने काले झंडे दिखाए | अपने सार्वजनिक जीवन में उन्हें 11 बार कारावास हुआ | 1933-36 तक सुभासचन्द्र बोस यूरोप में रहे | इटली के नेता मुसोलिनी से मिले जिन्होंने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया | 1938 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हरीपूरा में हुआ तथा वे अध्यक्ष बने |


बाद में गांधीजी से मतभेद होने पर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया | 1939 में फिर अध्यक्ष पद के चुनाव में वे जीत गये | कांग्रेस से त्यागपत्र देने के बाद 3 मई 1939 को फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की एवं स्वतंत्रता संग्राम को तीव्रगति दी | अंग्रेजो ने उन्हें घर में नजरबंद करके रखा | वे चकमा देकर मास्को होते हुए बर्लिन पहुचे तथा रिबनट्रॉप जैसे नेताओं से मिले | जर्मनी में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संघठन और आजाद हिन्द रेडियो की स्थापना की |


29 मई 1942 को एडोल्फ हिटलर से मिले | 1943 में वे सिंगापुर आये तथा स्वतंत्रता आन्दोलन की बागडोर हाथ में ली | मुख्यत: भारतीय युद्धबन्दियो को लेकर आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया | औरतो के लिए झांसी रानी रेजिमेंट बनाई | पूर्व एशिया में जगह जगह भाषण देकर फ़ौज में भर्ती होने के लिए स्थानीय लोगो को आह्वान किया तथा संदेश दिया “तुम मुझे खून दो , मै तुम्हे आजादी दूंगा “| परन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान-जर्मनी की हार के बाद उन्हें आजाद हिन्द फ़ौज को लौटाना पड़ा | इस प्रकार वे निश्चित लक्ष्य नही पा सके | 18 अगस्त 1945 को ताइपे ताइवान की भूमि पर उनका हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया | उनके मारे जाने की खबर मिली पर ये विवादास्पद है कि उनकी मृत्यु कैसे हुयी ?


उपलब्धिया - 

* सुभाष चंद्र बोस इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में सफल चुने गये |

* 1938 और 1939 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये |

* आल इंडिया फॉरवर्ड पार्टी का गठन कर स्वतंत्रता संग्राम को गति दी |

* भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को बाहर निकाल फेंकने के लिए आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया |

* सुभाष नेताजी के नाम से प्रसिद्ध हुए | जयहिंद का नारा उन्होंने दिया तथा गांधीजी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया |



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