'आज का कविता'
ऐ चांद तू जरा जल्दी निकल ...
'हमसफर मित्र न्यूज'
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जबसे पहुंचा सूरज , आज अस्तांचल !
लगता है यूं ,......... ठहर गया है पल !
न सता इतना.............. मेरे चांद को ,
ऐ चांद , .........तू जरा जल्दी निकल !
करवाचौथ पर्व है सुहाग का !
प्रेम का , समर्पण का , त्याग का !
सुहागनें रखती हैं निर्जला व्रत ,
सलामत रहे सिंदूर , मांग का !
पति की दीर्घायु की खातिर ,
त्याग देती हैं पत्नियां अन्न - जल !
ऐ चांद ___________________
हाथों में मेंहदी लगाकर !
माथे में बिंदियां सजाकर !
कलाई में खनकाती खन खन चूड़ियां ,
और थाल में दीपक जलाकर !
लग रही नई - नवेली दुल्हन - सी ,
सुंदर काया , लगती है कंवल !
ऐ चांद ______________________
दिन भर घर के काम में है चूर !
कम न हुई रंगत , न कम हुआ नूर !
क्या तारीफ़ करूं मैं अपने चांद का ,
वो है जां मेरी , वो है मेरा गुरूर !
बहुत शुकून देता है उसका सामिप्य ,
मन है उनका निर्मल -कोमल -निश्छल !
ऐ चांद ...............____________
सज-संवर कर बैठीं है सजन के प्यार में !
कब निकलेगा चांद , इस इंतजार में !
नींबू पानी , मीठे पकवान लिए मैं बैठा हूं ,
आज करवाचौथ के इस पावन त्यौहार में !
आज की रात ,........ तू आ जा जल्दी ,
चाहे जितनी देर , लगा लेना कल !
ऐ चांद_________________________
तू आए तो मेरी वामा , मेरी आरती उतारें !
देखकर छलनी में तुझको फिर मुझे निहारे !
मैं पिला दूं उसे पानी की एक घूंट ,
निभा लूं मैं भी ..............अपने फ़र्ज़ सारे !
चौथ की रात में कहां हो गये हो गुम ,
तेरे दीदार को ...........मन रहा है मचल !
ऐ चांद .......______________________
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