13 अक्टूबर दिन गुरुवार को ही करवाचौथ का व्रत रखना होगा शुभ...
'हमसफर मित्र न्यूज'
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अपने पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं पूरे दिन करवाचौथ का उपवास करती हैं और निर्जल व्रत रखते हुए रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर पानी से अपना व्रत तोड़ती हैं. इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है.
साथ ही सुहागिन महिलाएं अपने हाथों से मिट्टी के भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करती हैं और मिट्टी के करवे का अर्घ्य देने के लिए इस्तेमाल करती हैं।करवा चौथ मनाने की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन की की स्थिति पैदा हो गई है. दरअसल दो दिनों तक चौथ की तिथि रहने की वजह से ऐसा हो रहा है,इस वजह से करवा चौथ का पर्व 13 और 14 अक्टूबर को मनाया जा सकता है। जानकारों ने 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ मनाने की बात कही है और इसी तारीख को शुभ माना है. ऐसा इसलिए क्योंकि सनातन धर्म में कोई भी व्रत या पर्व उदया तिथि के आधार पर मनाया जाता है.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर यानी गुरूवार को सुबह 1:59 बजे से शुरू होकर अगले दिन 14 अक्टूबर यानी शुक्रवार को सुबह 3:08 बजे तक रहेगी.
13 अक्टूबर को पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:21 बजे से 12:07 बजे तक और अमृत काल मुहूर्त शाम 4:08 बजे से शाम 5:50 बजे तक रहेगा, वहीं पूजा के लिए शाम 06:01 से शाम 7:15 बजे के बीच के समय को भी शुभ बताया जा रहा है। नक्षत्रों के अनुसार 13 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन रात 08:19 बजे चंद्रोदय होगा,इन सब बातों को देखते हुए 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ का व्रत रखना शुभ होगा।
करवा चौथ मनाने की पूजा विधि
करवा चौथ मनाने वाली वाली महिलाएं सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद व्रत रखने संकल्प लें. इसके बाद चौथ माता की पूजा का करें. फिर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखें. पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और भगवान गणेश की पूजा करें. इस दौरान गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत्, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करें,मां गौरी और भगवान गणेश को श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पूरी का भोग लगाते हैं,इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं और फिर बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करते हैं।
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