ट्रेन के डिब्बे अलग-अलग रंगों के क्यों होते हैं? हर कलर का है अलग मतलब, जानें किस रंग का क्या है मतलब
'हमसफर मित्र न्यूज'
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में कुल 12,167 पैसेंजर ट्रेन है. इसके अलावा भारत में 7,349 मालगाड़ी ट्रेन है. बता दे, देश में रोजाना 23 मिलियन यात्री ट्रेन से यात्रा करते है, ये संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की पूरी आबादी के बराबर है. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है तो ये देखा होगा कि ट्रेन में कई कलर के कोच होते हैं. कुछ कोच लाल, कुछ नीले तो कुछ हरे रंग के होते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि ट्रेन के कोच के रंग यही क्यों होते हैं और इन रंगों का क्या मतलब है. आइए बताते हैं.
नीले रंग वाले कोच
ज्यादातर ट्रेनों में नीले रंग वाले कोच देखने को मिलते हैं. इसको हम ICF कोच यानी Integral Coach Factory कोच कहते हैं. आईसीएफ कोच की स्पीड 70 से 140 किमी/घंटा तक होती है. इसका इस्तेमाल अक्सर मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में किया जाता है. इन सारे डब्बों का निर्माण तमिलनाडु में होता है. क्योंकि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है. इसकी स्थापना 1952 में हुई थी.
नीले डब्बों की खासियत है कि इन्हें बनाने में लोहे का इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से ये डब्बे भारी भी होते हैं. इसके रख-रखाव में ज्यादा खर्च भी होता है. वहीं, अगर बैठने की बात करें, तो सामान्य आरक्षण वाले डब्बे में 72 सीटें और एसी में 64 सीटें होती हैं. इन कोच में एयर ब्रेक का यूज किया जाता है. साथ ही साथ प्रत्येक 18 महीने में इनको ओवरहॉलिंग की जरूरत होती है.
लाल रंग वाले कोच
आजकल लाल रंग वाले कोचों की संख्या ज्यादा हो गई है. इन्हें हम LHB कोच यानी Linke Hofmann Busch कहते हैं. ये कोच साल 2000 में जर्मनी से भारत लाई गई थीं. इनका निर्माण कपूरथला, पंजाब में होता है. खास बात है कि इन डब्बों को बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए ये हल्के होते हैं.
इन्हें डिस्क ब्रेक के साथ इसे 200 किमी/घंटा के रफ्तार पर दौड़ाया जा सकता है. हालांकि, इसे अधिकतम 160 किमी/घंटा के स्पीड से ही चलाया जा रहा है. इसके रख-रखाव में कम खर्चा भी होता है. स्पीलरक्लास में 80 सीटें और एसी में 72 सीटें होते हैं. इनके अलावा अगर एक्सीडेंट हो जाये, तो एक ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं. क्योंकि इन डब्बों में Center Buffer Couling (CBC) सिस्टम होता है.
हरे रंग के कोच
हरे रंग के डिब्बों का इस्तेमाल गरीब रथ ट्रेन में होता है. वहीं, भूरे रंग के डिब्बों का उपयोग मीटर गेज ट्रेनों में होता है. बिलिमोरा वाघाई पैसेंजर एक नैरो गेज ट्रेन है, जिसमें हल्के हरे रंग के कोच का उपयोग होता है. हालांकि इसमें भूरे रंग के कोच का भी उपयोग किया जाता है.
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