शरीर में रक्त की अधिकता से हो सकते हैं ढेर सारे दिक्कतें - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Thursday, December 16, 2021

 

शरीर में रक्त की अधिकता से हो सकते हैं ढेर सारे दिक्कतें

लेखक - 'मनितोष सरकार' (संपादक) 

'हमसफर मित्र न्यूज' 

'आज का सेहत' 




आप ने अक्सर सुनें होंगे कि फलाना व्यक्ति को खुन की कमी हो गई है। पर ये बात आप बहुत कम ही सुनते हैं कि फलाने व्यक्ति को रक्त की अधिकता हो गया है। शरीर में रक्त का एक निश्चित मात्रा होता है, उस मात्रा से अधिक अथवा कम रक्त होना जानलेवा साबित हो सकता है। ज्यादातर लोगों को खुन की कमी होती हैं जिसे हम एनीमिया कहते हैं। एनीमिया होना मतलब शरीर में अत्याधिक हीमोग्लोबिन की कमी हो जाना। सामान्यतः एक स्वास्थ्य मनुष्य के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 से 16 प्रति ग्राम डेसिलीटर होना चाहिए। अगर इसका मात्रा 7 ग्राम डेसिलीटर से कम हो जाता है तो इसे एनीमिया कहा जाता है और अगर रक्त में हीमोग्लोबिन का मात्रा 16 ग्राम डेसिलीटर से ज्यादा हो जाए तो उसे पॉलिसाइथीमिया रोग कहा जाता है।


पॉलिसाइथीमिया, एनीमिया से भी खतरनाक साबित हो सकता है। इससे रक्त में गाढ़ापन बढ़ने लगता है। कहा जाए तो रक्त में गाढ़ापन हो जाने पर संचालित होने में बाधाएं आ सकती है जिसके वजह से हृदय में रक्त का पूर्ण रूप से आपूर्ति नहीं हो पाते हैं फलस्वरूप हृदयाघात की संभावना बन सकता है। रक्त में गाढ़ापन होने से मस्तिष्क में रक्त संचार कम हो जाता है जिसके वजह से मस्तिष्काघात भी हो सकते हैं। 


आइए जानते हैं हीमोग्लोबिन बढ़ने का वजह


रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ने की वजह बोनमेरो जिसे हम अस्थिमज्जा भी कहते हैं। इसी अस्थिमज्जा में से हीमोग्लोबिन कोशिकाओं का निर्माण होता है। जब अस्थिमज्जा में रक्त बनने में कोई समस्या अथवा गड़बड़ी होती हैं तब यह समस्या हो जाता है। इसमें हीमोग्लोबिन बढ़ने को हम प्राइमरी पॉलिसाइथीमिया कहते हैं। कोई अन्य रोग से जब यह समस्याएं पैदा होती है तो इसे सेकेंडरी पॉलिसाइथीमिया कहते हैं। इससे हृदय एवं ब्रेन स्ट्रोक जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकती है।


जानें क्या है इसका लक्षण -


रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाने से गाल अथवा चेहरा लाल हो जाना, नहाने के बाद हाथ-पैरों में खुजली उत्पन्न होना, सिर चकराना, थकावट और पेट दर्द भी हो सकता है। नाक, आंतों से अथवा मल-मूत्र से रक्तस्राव की समस्याएं हो सकतीं हैं। हीमोग्लोबिन का स्तर की पहचान के लिए पैथोलॉजी में जाकर रक्त जांच करा लेना चाहिए।


इस तरह दिक्कतें आ सकती हैं -


कोई भी बीमारियों के वजह से शरीर को आवश्यकता अनुसार अॉक्सीजन नहीं मिलती है तो इससे सायनोटिक हार्ट डिजीज, सीओपीडी (क्रॉनिक अॉब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), क्रॉनिक अॉब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (नींद की समस्या) जैसे दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। इस स्थिति में शरीर अधिक हीमोग्लोबिन निर्माण कर अॉक्सीजन की आपूर्ति करने की कोशिश करते हैं। यह दिक्कत कई बार किडनी, लिवर कैंसर में भी हो सकती है। साथ ही कई बार धूम्रपान, प्रदूषण, अॉक्सीजन की कमी वाली जगहों पर काम करने से भी यह समस्या उत्पन्न होती है।

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