27 सितंबर को भारत बंद, जानें क्यों - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Thursday, September 23, 2021



27 सितंबर को भारत बंद, जानें क्यों 

'राकेश खरे' की रिपोर्ट 

'हमसफर मित्र न्यूज' 


कोरबा। किसान विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ आयोजित भारत बंद के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा अन्य सहयोगी ट्रेड यूनियन संगठनों और वामपंथी दलों के समर्थन से बांकी-सुतर्रा राज्य मार्ग को 27 सितम्बर को जाम करेगी। यह घोषणा किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने आज यहां बंद के पोस्टर-पर्चे जारी करते हुए की। उन्होंने कहा कि मनरेगा, वनाधिकार, भू-विस्थापन और बिजली-सड़क-पानी से जुड़ी स्थानीय मांगों को भी आंदोलन की मांगों में शामिल करके व्यापक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। 


ये पोस्टर-पर्चे माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, दीपक साहू, हेम सिंह मरकाम, मान सिंह कंवर, राजकुमारी कंवर(पार्षद), दिलहरण चौहान, दिलीप दास एवं किसान सभा के अन्य कार्यकर्ताओं की उपस्थित में जारी किए गए। इस अवसर पर किसान सभा सचिव प्रशांत झा ने कहा कि देश भर में पिछले 9 महीने से ज्यादा समय से किसान काले कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। साथ ही देश के मजदूर संगठन भी निजीकरण के खिलाफ और श्रम संहिता रद्द करवाने को लेकर भी निरंतर आंदोलनरत हैं। मोदी सरकार लोगों की खून पसीने से पैदा की गई सरकारी संपत्ति को कौड़ियों के भाव पूंजीपतियों को लूटा रही है और कानूनों को बदल कर किसानों और मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश रच रही है, जिसे देश की मेहनतकश जनता हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगी।


किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि भारत बंद में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दों -- संपत्ति कर और जल कर रदद करने, गरीबों के बिजली बिल माफ करने, वन भूमि पर काबिज आदिवासियों को वन व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार देने -- की मांग को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा कि कोरबा बंद में सभी विस्थापित परिवारों को रोजगार, अधिग्रहित भूमि का बाजार दर से चार गुना मुआवजा और पूर्ण विकसित बसाहट की भी मांग भी शामिल है।


किसान सभा ने 27 सितंबर को बांकी मोंगरा में चक्काजाम की घोषणा करते हुए किसानों, मजदूरों, व्यापारियों और नौजवानों से भारत बंद को सफल बनाने की अपील की है। भारत बंद की सफलता के लिए किसान सभा के कार्यकर्ता गांव-गांव में बैठकें कर रहे हैं और पर्चे बांट रहे हैं।

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