कोविड अस्पतालों ने खूब चलाई मनमर्जी, सरकारी योजना में पात्र मरीजों से भी लिए पैसे
पं. गणेशदत्त राजू तिवारी की रिपोर्ट
'हमसफर मित्र न्यूज'
बिलासपुरःशहर के कोविड अस्पतालों ने काेरोना के दौर में मरीजों के इलाज को लेकर किस तरह मनमर्जी चलाई इसे उन पीड़ितों की दर्द भरी कहानियां को पढ़कर समझा जा सकता है जिन्हें आयुष्मान और खूबचंद बघेल योजना में पात्र होने के बाद भी पैसे चुकाने पड़े। सरकारी नियम है कि इस योजना में कार्डधारी को पांच लाख रुपए का इलाज मुफ्त दिया जाए, पर स्थिति बिल्कुल विपरीत। शहर और गांव में कुछ परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अस्पतालों की दहलीज पर कदम रखा यह सोचकर कि कार्ड से उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन अस्पताल संचालकों ने कार्ड से कोरोना का इलाज करने से इनकार कर दिया। नतीजा उन्हें नगदी पैसे देने पड़े।
पढ़िए, दर्द से गुजरे उन परिवारों के किस्से, जिन्होंने आयुष्मान कार्ड होते हुए भी चुकाया बिल
केस-1 जनता अस्पताल में चुकाया चार लाख रुपए का बिल
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के ग्राम भर्री डांड निवासी कोमल मिश्रा उम्र 52 साल को अप्रैल में कोरोना हुआ। उनके बेटे सुशील मिश्रा ने उन्हें बिलासपुर के तिफरा के जनता हॉस्पिटल में भर्ती कराया और प्रबंधन को बताया कि उनके पास आयुष्मान कार्ड है। लेकिन प्रबंधन ने साफ शब्दों में कह दिया कि आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं हो सकता।
केस-2 स्काई अस्पताल में मृत्यु के बाद भी मांगे गए पैसे
देवरीखुर्द में रहने वाले दिलेश श्रीवास को जब कोरोना हुआ और हालत बिगड़ने लगी तो परिवार वालों ने उन्हें स्काई हॉस्पिटल में भर्ती कराया। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी अस्पताल वालों ने शुरुआती में ही 20 हजार जमा कराए। दूसरे दिन ही मरीज की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद भी परिवार से पैसे लिए गए।
केस-3 इलाज में मौत, उधार में लेकर इलाज का 6 लाख चुकाना पड़ा
बिल्हा ब्लाक के ग्राम गतौरी निवासी रामनारायण यादव पिता रामहरक 48 वर्ष को कोरोना होने के कारण गांव से लाकर अपोलो में भर्ती गया। 3 मई गुरुवार की सुबह उसकी यहां मौत हो गई। अपोलो में इलाज का खर्च 8 लाख रुपए आया। पहले परिजनों ने कहीं से उधार लेकर 4 लाख रुपए जमा किया था। मौत के बाद 2 लाख और देना पड़ा।
केस-4 आरबी अस्पताल में दिए डेढ़ लाख रुपए
सीपत रोड़ बैमा निवासी 57 वर्षीय राममनोहर उज्जैनी को कोरोना होने पर परिवार वालों ने इलाज के लिए आरबी हॉस्पिटल में भर्ती किया। अस्पताल प्रबंधन ने राममनोहर का इलाज आयुष्मान योजना के तहत नहीं किया। परिजनों को इस बारे में पता नहीं था, वे कैश पेमेंट करते रहे। 6 अप्रैल को उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने डेढ़ लाख रुपए का बिल नकद चुकाया।
केस-5 ना बेड मिला ना इलाज, कार्ड होने के बाद भी मौत
अकलतरा निवासी चित्र भार कुमार को कोराेना के लक्षण थे। रिपोर्ट पॉजीटिव आने के 8 दिन बाद जिला चिकित्सालय में इलाज चला पर कोई सुधार नहीं आया। मरीज को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता पुरुषोत्तम नामदेव बिलासपुर के निजी अस्पतालों में घूमते रहे, पर सभी अस्पताल पहले 50 हजार से 1 लाख रुपए पहले जमा करने की मांग कर रहे थे।
सीधी बात; डॉ. प्रमाेद महाजन, सीएमएचओ; लोगों का जागरूक होना जरूरी
क्या वजह है कि कई मरीजों को आयुष्मान कार्ड होने के बाद योजना का लाभ नहीं मिला?
- ऐसा नहीं है कई मरीजों को इसका लाभ मिला है।
प्रथम, स्काई, आरबी सहित अन्य अस्पतालों में कार्ड होने के बावजूद परिजनों को पैसे चुकाने पड़े?
- उन्होंने कार्ड नहीं दिखाया होगा।
कार्ड दिखाया पर उसे नामंजूर किया गया, इसलिए परेशानी आई, क्या यह पैसे अब लौटाए जा सकते हैं?
- नहीं। यह बिल भरते वक्त ही मंजूर होता। इसके लिए लोगों को जागरुक होना जरूरी है।
No comments:
Post a Comment