लघुकथा
ईमानदारी का फल
प्रस्तुति - 'एम. के. सरकार (संपादक)
' हमसफर मित्र न्यूज '
एक बार एक देश में अकाल पड़ा। लोग भूखोँ मरने लगे। नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे। उन्होंने सब छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी। दूसरे दिन सवेरे बगीचे में सब बच्चे इकट्ठे हुए । उन्हें रोटियाँ बंटने लगी। रोटियाँ छोटी- बड़ी थी। सब बच्चे एक- दूसरे को धक्का देकर बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे। केवल एक छोटी लड़की एक ओर चुपचाप खड़ी थी। वह सबसे अंत में आगे बढ़ी।टोकरी में सबसे छोटी अंतिम रोटी बची थी। उसने उसे प्रसन्नता से ले लिया और वह घर चली गई। दूसरे दिन फिर रोटियाँ बांटी गई । उस लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली। लड़की ने जब घर लौटकर रोटी तोड़ी तो रोटी में से सोने की एक मोहर निकली। उसकी माता ने कहा,'मुहर उस धनी को दे आओ।'लड़की दौड़ी -दौड़ी धनी के घर गई। धनी ने उसे देख कर पूछा तुम क्योँ आई हो? लड़की ने कहा,'मेरी रोटी में यह मुहर निकली है। आटे में गिर गई होगी। देने आई हूँ। आप अपनी मुहर ले लेँ। धनी बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे अपनी धर्मपुत्री बना लिया और उसकी माता के लिए मासिक वेतन निश्चित कर दिया।बड़ी होने पर वही लड़की उस धनी की उत्तराधिकारिणी बनी।
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