ना जाने किस अजीब दौर से जमाना गुजर रहा है - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Saturday, April 17, 2021

 ना जाने किस अजीब दौर से जमाना गुजर रहा है 

'हमसफर मित्र न्यूज'। 


ना जाने किस अजीब दौर से ज़माना गुजर रहा है

एक डरावनी निस्तब्धता में इंसान जी रहा है 

घर बैठा हर शख़्स मानों एक जंग लड़ रहा है 

दुश्मन कोई नज़र नहीं आता पर वार कर रहा है 

समझ नहीं आता कहर ये कैसा बरस रहा है 

चेहरा छुपाये इंसान इंसान से डर रहा है 

तरीके बदल गए है ज़िंदगी के 

अब दफ़्तर घर से ही चल रहा है 

ऑफ़लाइन ऑनलाइन में उलझ गयी है ज़िन्दगी 

कंप्यूटर चुपके से बैडरूम में घुस गया है 

जन्मदिन, शादी ब्याह की पार्टियां सब ऑनलाइन 

थालियां पीट पीट कर इंसान थक गया है 

हाथ मिलाना अब हो गया है सजा 

ढक कर रुमाल से नाक-मुंह इंसान चल रहा है 

मास्क, सैनिटाइज़र और दस्ताने है हथियार 

धो-धो के हाथ इंसान कोरोना से लड़ रहा है 

ना कोई अस्तपाल ना है इलाज़ कोई 

डॉक्टर मरीज से अब डर रहा है 

बंद है मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरद्वारे 

थक हार कर लाचार हो गयी है सरकारें 

राम के भरोसे ही संसार चल रहा है 

भूख से बिलखते बच्चों को नहीं दूध मिल रहा है 

काम की तलाश में है हर कोई पर काम नहीं मिल रहा है

ना कोई आस, न कोई ठिकाना ना आशियाना 

घर से शहर और शहर से घर मज़दूर भटक रहा है 

ना जाने किस गुनाह की सजा भगवान हमको दे रहा है 

हर लम्हा एक सबक नया सिखा के गुजर रहा है 

तन्हाई है दर्द और अकेलापन दवा बन रहा है 

संसार में न कोई छोटा और ना बड़ा है 

ईश्वर ने बनाया है सबको बराबर 

इंसान इतनी से बात नहीं समझ रहा है 

क्यों सदियों से अमीर और गरीब में भेद कर रहा है 

जिनको गुरूर है अपनी धन दौलत पर 

नहीं उस दौलत से कोई काम चल रहा है 

जो लोग ख़ुद को समझ बैठे है ख़ुदा 

सत्ता का जिन को चढ़ा है नशा 

सजा उनके गुनाहों की हर शख़्स भुगत रहा है 

लेकिन उन पर ना जाने कोई असर हो रहा है 

किस अजीब दौर से ये ज़माना गुजर रहा है 

उम्मीद हैं चंद रोज़ मे छंट जायेगा अंधेरा 

सूरज ले के आएगा फिर इक नया सवेरा 

अपने आप को बदलेगा इंसान भूल कर तेरा मेरा 

फिर लौट आएगी ख़ुशियां खिल उठेगा हर चेहरा ।


गणेशदत्त राजू तिवारी मल्हार।

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