क्या इसे आप बहादुरी मानेंगे या देश के संविधान पर हमला।
संपादक - 'मनितोष सरकार'
'हमसफर मित्र न्यूज'।
26 जनवरी 2021 के गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के लालकिले पर असामाजिक तत्वों द्वारा हमला कर ध्वजारोहण करना देश के लिए एक बहुत ही बड़ा आघात है। सुरक्षाकर्मियों के बेरिकेट तोड़कर लालकिले के अंदर प्रवेश कर ध्वजारोहण करने वाले अपने आप को किसान बता रहे हैं। क्या हमारे देश के अन्नदाता कहें जाने वाले किसान ऐसा कर सकते हैं..?
हमें तो यकीन नहीं हो रहा है कि लालकिले पर हमला कर ध्वजारोहण करने वाले किसान ही है। हमारे देश के किसान अपने ही संविधान पर ऐसा वार नहीं कर सकता बल्कि इसके पीछे साजिश जरूर हो सकता है।
जिस किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस से वादा किया था कि हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि ट्रैक्टर से बेरिकेट को तोड़कर सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर देना और देश के हृदय 'लालकिले' में जबरदस्ती घुस जाना और देश के अलावा अन्य समाज का झंडा फहराना ये कहा तक उचित है। क्या वह लालकिला केवल हमारा हैं..? 'लालकिला' सभी देश वासियों का हैं। हमारा भी और आपका भी। लालकिले पर घटी इस घटना से केवल हम क्यों दुःख प्रकट करें। आप भी तो वही हो जो हम हैं। पुरे देशवासी हम सब एक है।
याद किजिए उस दिन को जिस दिन सुरक्षाबलों से घिरे रहने वाले लालकिले पर आतंकी हमले हुए थे। आज से 20 वर्ष पूर्व 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादियों ने लाल किले पर हमला कर दिया था। उस समय और इस समय में ये अंतर है कि उस समय विदेशी आतंकवादी हमले किए थे और इस बार अपने देश के कुछ अबुझ और नासमझ लोगों ने हमला किया हैं। आखिर उन लोगों ने क्या हासिल करने के लिए किया होगा। यही दिखाना चाहते हैं क्या कि हम कुछ भी कर सकते हैं। कुछ दिन पहले अमेरिका में दुनिया के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले रास्ट्रपति भवन 'ह्वाइट हाउस' को आम जनताओं ने कब्जा कर लिया था। ऐसा ही नहीं रास्ट्रपति के सिंहासन पर भी बैठ गए थे। क्या वही से इन लोगों ने शिक्षा लिया है कि जनता चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं। अमेरिका के घटना के बाद विदेशों में उसका काफी निंदा किया गया है। वहीं चाहते हैं उन उपद्रवियों ने कि जिससे विदेशों में भी हमारा देश का अथवा सरकार का नाम खराब हो।
फिलहाल हमें इस हालात से निपटना जरूरी है। जिस किसी के भी शह में ये घटनाक्रम हुआ है उसे कानून के तहत देशद्रोही का मुकदमा चलना चाहिए। साथ ही क्षतिपूर्ति भी। इस हमले में जो 300 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए उनको भी खिदमत होनी चाहिए।
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