लॉकडाउन में किसानों पर भी होनी चाहिए छुट
पं. गणेशदत्त राजू तिवारी
'हमसफर मित्र न्यूज'।
बिलासपुर। देश में कोविड-19 के संक्रमण का हमला होते ही मार्च माह के तीसरे सप्ताह से घोर लॉक डाउन चल रहा है। इस संक्रमण और लॉकडाउन के माहौल में भी अगर कोई अपने और देश के लिए काम कर रहा है। तो वह है सीमा पर मुस्तैदी से खड़े जवान और देश के गांव गांव में खेतों पर डटे किसान। इनके अलावा बड़े-बड़े कल कारखाने, छोटे बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान सरकारी अर्द्ध सरकारी कार्यालय सभी समय-समय पर बंद होते रहे। उन में कामकाज ठप होता रहा। लेकिन अगर अपना काम और कर्तव्य किसी ने नहीं छोड़ा...तो वह है देश का जवान और देश का किसान। मगर अफसोस है कि पूरे देश की तरह छत्तीसगढ़ में भी किसानों और किसानी करने वालों की चिंता किसी को नहीं है। बिलासपुर भी इस मानसिकता से अछूता नहीं है। लॉकडाउन लगाते वक्त सभी वर्गों के लिए ड्यूटी पास जारी करने वाले प्रशासन को इस बात की चिंता नहीं रहती की खेती किसानी करने के लिए भी लोगों को आना जाना पड़ता है। बिलासपुर शहर में ही में ऐसे दो से तीन सौ प्रबुद्ध किसान हैं। जो जो रोज शहर से 15-20 किलोमीटर की परिधि में आना-जाना कर प्रगतिशील ढंग से विशेषकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं। और जानकार यह बता सकते हैं कि सब्जी की खेती करने वाले को हर दिन बिना नागा अपने खेतों में जाना ही होता है। *छत्तीसगढ़ी में इसीलिए कहा जाता है कि..खेती अपन सेती...!बिलासपुर में रह कर किसानी करने वाले ऐसे लोगों को प्रशासन की अनुमति नहीं होने के कारण खेतों में जाकर फसल का हाल-चाल देखने तक की छूट नहीं है। ना तो उन्हें कोई पास दिया जाता है और नहीं कोई छूट। बिलासपुर के अलावा भी बिल्हा,बोदरी, तखतपुर रतनपुर मल्हार नगरी निकाय क्षेत्रों में भी खेती किसानी ही लोगों की आय का प्रमुख जरिया है। लेकिन लॉकडाउन के कारण किसानी करने वाले ऐसे लोगों को भी अपने ही घरों में कैद होकर रहना पड़ रहा है। जब की फसल के हिसाब से यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें धान की फसल जवान होने की ओर है। वहीं सब्जी की फसलों के लिए गांव गांव में नर्सरी तैयार हो रही है। वहीं इस समय धान की फसल पर तना छेदक व मांहो समेत अनेक प्रकार के कीट प्रकोप चल रहे हैं। ऐसे समय मैं फसलों की रक्षा और देखरेख के साथ ही दवा और खाद दोनों ही बेहद जरूरी है। लेकिन शायद प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो जहां तमाम वर्गों के लिए ड्यूटी पास और दूध डेयरी दवा दुकानों और पेट्रोल पंपों के लिए सीमित प्रतिबंधों के तहत छूट दी गई है। उसके विपरीत किसान और किसानी के लिए बेहद जरूरी खाद और दवा दुकानों को बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। इससे फसल के लिहाज से इस क्रुशियल समय में किसान अपने खेतों में बिना दवा के फसलों को कीट प्रकोप से हो रहे नुकसान को झेलने पर मजबूर हो रहा हैै। मार्च महीने से देश में विभिन्न चरणों में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने ही किसानों की फसल और सब्जियां मंडी और बाजार बंद रहने के कारण खेतों में ही पड़े रहकर सड़ती रहीं। मगर अफसोस कि इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। बहरहाल, किसानों की मांग है कि मेडिकल दुकानों की तरह किसानों के लिए जरूरी खाद और दवा की दुकानों को भी कुछ ही घंटे के लिए क्यों न हो..खोलने की अविलंब अनुमति दी जानी चाहिए वही शहरों और कस्बों में रहकर रोज खेती के लिए गांव की ओर आना-जाना करने वाले शहरी और कस्बाई किसानों को भी उनके खेतों तक आने-जाने की छूट पर भी प्रशासन को विचार करना चाहिए..
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