अब नाक से दिया जाएगा कोरोना का टीका - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Friday, September 25, 2020

 

अब नाक से दिया जाएगा कोरोना का टीका

प्रस्तुति - मनितोष सरकार 




'हमसफर मित्र न्यूज'। 

   कोरोना वायरस को लेकर समुचा विश्व जुझ रहा हैं। रोज कोरोना का संक्रमण बढ़ते ही नजर आ रहे हैं। दुनिया भर में अबतक 10 लाख लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं 3 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं।


   इस मामले में भारत भी शीर्ष स्थान पर है। यहां संक्रमितों की संख्या 50 लाख पार कर चुके हैं वहीं मृतकों की संख्या 90 हजार के करीब है। इसे रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। इसका दवा बनने में काफी समय लग सकता है। फिलहाल टीका के मदद से इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है। 


   ब्रिटिश वैज्ञानिक अब यह अध्ययन कर रहे हैं कि क्या संक्रमण की शुरुआती जगह यानी नाक के जरिए कोरोना वायरस के टीके की खुराक इंजेक्शन से ज्यादा प्रभावशाली हो सकती है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सोमवार को एक बयान में कहा कि 30 लोगों को शामिल कर टीकों का परीक्षण किया जाएगा।


   शोध का नेतृत्व कर रहे और इंपीरियल कॉलेज लंदन के डॉ क्रिस चियु ने कहा, हमारे पास सबूत है कि एक नेजल (नाक) स्प्रे के माध्यम से इन्फ्लूएंजा का टीके देने से फ्लू से लड़ने और इस बीमारी के संचरण को कम करने में मदद मिलती है।


   कोविड-19 के मामले में भी यह नेजल स्प्रे असरदार साबित हो सकता है। हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या इंजेक्शन की तुलना में नाक के जरिए दी गई टीके की खुराक प्रभावी साबित हो सकती है। हम यह जानने की कोशिश में लगे हैं कि नेजल स्प्रे के माध्यम से टीका लगाने से नोवेल कोरोना वायरस से जंग जीती जा सकती है या नहीं। वर्तमान में यह अध्ययन 18 से 55 वर्ष की आयु के प्रतिभागियों पर किया जा रहा है और आने वाले हफ्तों में लंदन में लोगों का टीकाकरण शुरू करने की उम्मीद है।


   पिछले अध्ययनों से पता चला है कि इनहेलेशन यानी नाक के द्वारा वितरित टीकों को इंजेक्शन की तुलना में कम खुराक की आवश्यकता होती है, जिससे सीमित आपूर्ति में मदद मिल सकती है। आमतौर पर वैक्सीन शरीर के ऊपरी हिस्सों में लगाई जाती है लेकिन हर वायरस की अपनी अलग प्रवृत्ति होती है और कोरोना वायरस भी पूर्व के वायरसों से बिल्कुल अलग है। इसके बचाव और तुरंत असर के लिए अगर नाक के जरिए वैक्सीन अंदर जाएगी तो सीधे इस वायरस पर हमला करेगी और उसे खत्म करेगी। इसी  उम्मीद के साथ यह परीक्षण किया जा रहा है।


   शोधकर्ता रॉबिन शटॉक ने कहा कि टीका होना ही पर्याप्त नहीं है पर उसे लगाने की सही तरीका पता होना उससे भी ज्यादा आवश्यक है। अपने इस परीक्षण से हम यह बताने में सक्षम होंगे कि कोरोना से संक्रमित मरीज को टीका देने की सही विधि क्या है।

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