सावन महीने का महत्व
जय कल्पकेदारेश्वर पातालेश्वर महादेव
लेखक - पं. गणेशदत्त राजू तिवारी, मल्हार।
'हमसफर मित्र'।
हमारे हिंदू धर्म में सावन का महीना का बहुत ही महत्व है. इस महीने में जो भी भक्त सोमवार का व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस पूरे महीने शिवभक्त बड़ी ही श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि अपना विशेष महत्व रखती है।श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा बेल पत्र से और उन्हें जल चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण मास में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था
प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी पड़ती है. लेकिन सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का खास महत्व है. सावन की शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही फलदायी माना गया है. इस बार श्रावण मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 3 अगस्त को होगा. बता दें कि इस बार सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार के दिन होगी.
इस साल के सावन माह में कुल पांच सोमवार पड़ेंगे. पहला सोमवार जहां शुरुआत के दिन यानि कि 6 जुलाई को ही पड़ रहा है, वहीं दूसरा सोमवार 13 जुलाई को पड़ेगा. इसके बाद, 20 जुलाई, 27 जुलाई और 3 अगस्त के दिन सावन का सोमवार पड़ रहा है. इस महीने में मोनी पंचमी, मंगला गौरी व्रत, एकादशी, प्रदोष व्रत, हरियाली और सोमवती अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी और रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे. साथ ही इस बार सावन में 11 सर्वार्थ सिद्धि, 10 सिद्धि योग, 12 अमृत योग और 3 अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं।
सावन में सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं।
- श्रावण मास में सुबह के समय जल्दी उठे. इसके बाद अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.पूजा की थाली में रोली-मोली, चावल, धूप, दीपक, सफेद चंदन, सफेद जनेऊ, कलावा, पीला फल, सफेद मिष्ठान, गंगा जल तथा पंचामृत आदि रखें.यदि संभव हो तो अपने घर से नंगे पैर भगवान शिव के मंदिर के लिए निकलें. मंदिर पहुंचकर विधि विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें.गाय के घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर वही आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें और शिवाष्टक भी पढ़ें.अपने घर वापस आते समय भगवान शिव से प्रार्थना करें और अपने मन की इच्छा कहें।
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