अनोखी दवाई - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Monday, July 31, 2023

 आज की कहानी

अनोखी दवाई

'हमसफर मित्र न्यूज' 




काफी समय से दादी की तबीयत ख़राब थी...

घर पर ही दो नर्स उनकी देखभाल करतीं थीं...

डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिये थे और कहा था...

कि जो भी सेवा करनी है ^ कर लीजिये...

दवाइयाँ अब अपना काम नहीं कर रहीं हैं...

उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया था...

काम के कारण दोनों मियाँ बीबी काम पर चले जाते...

दोनों बच्चे बार बार अपनी दादी को देखने जाते...

दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गये...


दादी ^ पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं...!

हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता......

क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी......?

नर्स ने बच्चों को डाँटा और बाहर जाने को कहा...!

अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं...!

आप जाओ यहाँ से...!

मेरे बच्चों को डाँटने का हक़ किसने दिया है...!

खबरदार ^ अगर बच्चों को डाँटने की कोशिश की...!

कमाल करती हैं आप...?

आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना  किया...!

बार बार आते हैं आपको देखने और डिस्टर्ब करते हैं...! आपको आराम भी नहीं करने देते...!


अरे  इनको देख कर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है ^ तू क्या जाने...?

ऐसा करो  मुझे ज़रा नहाना है...!

मुझे बाथरूम तक ले चलो...!


नर्स हैरान और अवाक थी...!

कल तक तो दवाई काम नहीं कर रहीं थी और आज ये इतना चेंज...?

सब समझ के बाहर था जैसे...!

नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद को कहा...!

नर्स ने पहले तो मना किया फिर कुछ सोच कर वह मदद करने लगी...!

खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा...!

दादी ^ हम ज़मीन पर बैठ कर खायेंगे और वो भी आपके हाथों से...!!

मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी...!

दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी...!

वह बच्चों के पास बैठ कर उन्हें खिलाने लगी...!

बच्चों ने भी दादी के मुँह में निवाले दिये...!

दादी की आँखों से आँसू बहने लगे...!

दादी  आप रो क्यों रही हो...?? दर्द हो रहा है क्या...?

मैं आपके पैर दबा दूँ...?

अरे नहीं  ये तो बस तेरे बाप को याद कर आ गये आँसू 

वो भी ऐसे ही खाताा था मेरे हाथों से...!

पर अब कामयाबी का ऐसा भूत चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास...!

और ना ही माँ से मिलने का समय...!

दादी  आप ठीक हो जाओ ^ हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे...!

और पढने कौन जायेगा ...?

तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको...??

दादी अब हम नहीं जायेंगे  यहीं रह कर पढेंगे...!

दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया...!

नर्स ने इस इलाज़ को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में...!

अनोखी दवाई थी यह ^ अपनों का साथ हिल मिल कर रहने की...!

दादी ने नर्स को कहा :--

आज के डॉक्टर और नर्स क्या जानें कि भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे...?

छोटा सा गाँव ^ सुविधा कोई नहीं...!

हर घर में गाय...!

कुँए से पानी लाना...!

मसाले कूटना अनाज दलना...!!

दही बिलोना मक्खन निकालना...!

एक घर में कम से कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना...!

कपड़े धोना ^ कोई मिक्सी नहीं  ना ही वॉशिंग मशीन या कुकर...!!

फिर भी जीवन मे कोई रोग नहीं...!!

मरते दिन तक चश्मे नहीं और दाँत भी सलामत...!

ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था...!

नर्स तो यह सुन कर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गयी...!    

आईये बनें हम भी दवा ऐसे ही  अपनों की...!



प्रस्तुति - चन्द्रशेखर  तिवारी, बिल्हा 



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