सावधान! मोबाइल चलाने से हो रही ये गंभीर बिमारी, इसकी चपेट में कई बच्चे और युवा
देर तक मोबाइल देखने से हो रही नई बीमारी, पीछा छुड़ाने के लिए बच्चों को फोन देते हैं तो यह रिपोर्ट पढ़ लीजिए
'हमसफर मित्र न्यूज'
आज के समय में लोग बच्चों को व्यस्थ करने के लिए मोबाइल फोन पकड़ा देते है लेकिन बाद में जाकर बच्चों की यही आदत पेरेंट्स के लिए सिरदर्द बन जाती है। आझ के समय में गैजेट्स का यूज भी काफी हद तक बढ़ गया है। लेकिन क्या आप जानते है कि ये गैजेट्स अपने साथ कितनी बिमारियां साथ लाते है। दरअसल, अमेरिका के प्लास्टिक सर्जन डॉ. रिचर्ड वेस्ट्रीच ने स्मार्टफोन के अधिक यूज से नए तरह की बीमारी के बारे में बताया है। डॉ. रिचर्ड का कहना है कि स्मार्टफोन के अधिक यूज से हाथ के सुन्न होने के साथ ही झुनझनी देखने को मिल रही है। डॉ वेस्ट्रीच का कहना है कि यह टेक नेक नया कार्पल टनल सिंड्रोम है।
टेक नेक से ग्रस्त 20 फीसदी
इस सिंड्रोम में न केवल सिरदर्द, गर्दन और कंधे में दर्द और हाथों में झुनझुनी पैदा कर सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि भारत में भी टेक नेक काफी आम है। डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में लगभग 20% मरीज टेक नेक से पीड़ित हैं। इसमें सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश बच्चे हैं। ऐसे कई कारण हैं जो टेक नेक का कारण बनते हैं, उनमें से अधिकांश जीवनशैली से संबंधित हैं। बच्चे से अब पहले से अधिक लंबे समय तक अपना टाइम टेक और गैजेट के साथ बिता रहे हैं।
बच्चों, किशोरों में बढ़ रहे केस
दिल्ली में आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट और हेड, आर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट, डॉ. आशीष चौधरी कहते हैं कि ऑनलाइन स्कूल की वजह से लैपटॉप, लैपटॉप पर बैठने और काम करने के घंटे बढ़ गए हैं। इससे खराब पोस्चर, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, धूप ना लगना और खराब खान-पान कुछ ऐसी चीजें हैं जिससे टेक नेक की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. चौधरी का कहना है कि सबसे ज्यादा चिंता की बात जो मैंने देखी है वह यह है कि पहले जो लोग इस बीमारी की शिकायत करते थे वे मध्यम आयु वर्ग के थे। अब अब अधिकांश रोगी किशोर और स्कूल जाने वाले बच्चे हैं।
मानसिक तनाव की बन रहा वजह
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एच एस छाबड़ा ने कहा कि लैपटॉप पर काम करने या मोबाइल पर लगातार टेक्स्ट करने से गर्दन के लिगामेंट्स, मांसपेशियों और जोड़ों पर बहुत अधिक जोर पड़ता है। ऐसा खासकर तब होता है यदि आपका पोस्चर सही नहीं है। डॉ. छाबड़ा ने कहा कि इनमें खिंचाव हो सकता है और गर्दन में दर्द हो सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि गर्दन की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। इससे वे खोपड़ी से जुड़ाव के स्थान पर सूजन हो सकती है। ऐसी स्थिति समय में यह दर्द लंबे समय तक रहने पर व्यक्ति के मनोविज्ञान को भी प्रभावित करता है।
मोबाइल के यूज से टेकनेक कैसे हो जाता
मोबाइल गैजेट की स्क्रीन पर नीचे देखते हुए और लंबे समय तक टेक्स्टिंग करते समय सिर झुकाने से टेक नेक कैसे हो जाता है? इसके बारे में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ एंड पब्लिक हेल्थ के एक लेख में कहा गया है कि जब सिर को आगे की ओर झुकाया जाता है तो रीढ़ पर सिर का वजन नाटकीय रूप से बढ़ जाता है। वास्तव में, तटस्थ स्थिति में एक पूर्ण विकसित सिर का वजन लगभग 5 किलोग्राम होता है। सिर जितना अधिक झुका होता है, गर्दन पर दबाव उतना ही बढ़ जाता है।
रीड़ की हड्डी पर इतना पड़ता है भार
15° (लगभग 12 किग्रा) रीढ़ पर पड़ने वाला सिर का भार दोगुना से अधिक हो जाता है। 30° की स्थिति में यह भार 18.14 किग्रा हो जाता है। सिर के 45° झुकने पर पर 22.23 किग्रा हो जाता है। यदि सिर का झुका 60° (27.22 किग्रा) हो जाए तो सिर का वजन पांच गुना से अधिक प्रभाव डालता है। इस स्थिति में न केवल गर्दन के लचीलेपन की डिग्री प्रासंगिक है, बल्कि सिर के झुकने की आवृत्ति भी गर्दन के शरीर क्रिया विज्ञान पर प्रभाव डालती करती है। वास्तव में, लगातार आगे की तरफ झुकाव से सर्वाइकल स्पाइन, कर्वेचर, सहायक लिगामेंट, टेंडन, मस्कुलेचर, बोनी सेगमेंट को बदल सकता है।
6 से 8 घंटे बढ़ गया समय
एम्स में प्रोफेसर और ऑर्थोपेडिक्स के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा कहते हैं कि कई लोग जो लंबे समय तक लैपटॉप पर काम करते हैं या स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, उनका प्रोफाइल नेक फॉरवर्ड हो जाता है। उन्होंने कहा कि स्क्रीन पर औसत समय 6 से 8 घंटे तक बढ़ गया है। यह निश्चित रूप से खराब पोस्चर और इससे जुड़ी परेशानियों को बढ़ा देते हैं।
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