बच्चों की निर्मम हत्या कर शरीर के साथ करती थीं ये काम, हिलाकर रख देगी इन दो बहनों की कहानी
'हमसफर मित्र न्यूज'
ट्रेंडिंग डेस्क. शॉकिंग मर्डर्स सीरीज में आज हम आपकाे बता रहे हैं दो किलर बहनों की खाैफनाक कहानी, जिनके आतंक से पूरे देश में कोहराम मच गया था। बच्चों की हत्या करने वाली ये बहनें किडनैपिंग कर उनकी बेरहमी से हत्या कर देती थीं और अपनी सनक में उनके शरीर के साथ हैवानियत करती थीं।
90 के दशक में था इनके नाम का खौफ
ये कहानी है सीरियल किलर सीमा गावित और उसकी बहन रेणुका शिंदे की। सन् 1990 से लेकर 1996 तक इन बहनों ने अपहरण, चोरी और हत्या की कई घटनाओं को अंजाम दिया। महाराष्ट्र के कोल्हापुर की इन बहनों ने पश्चिमी महाराष्ट्र में भयानक आतंक मचाकर रखा था। स्थिति ऐसी हो गई थी लोग बच्चों को पलभर भी अकेला छोड़ने से डरने लगे थे। देश के कई प्रमुख अखबारों में इनके आतंक की खबरें छपने लगी थीं।
इस उम्र में रखा अपराध की दुनिया में कदम
उस दौर में दोनों बहनों ने अपराध की दुनिया में कदम अपनी मां के कहने पर रखा। इनकी मां अंजनाबाई भी आदतन अपराधी थी। वह बड़ी चोरी की घटनाओं की साजिश रचा करती थी। इसके बाद उसने अपने साथ रेणुका और सीमा को भी जोड़ लिया। तब दोनों की उम्र क्रमश: 17 व 15 वर्ष थी। इसी उम्र में दोनों ने अपनी मां के साथ पहली हत्या की थी। दोनों बहनों ने चोरी के लिए पहले बच्चों को ढाल बनाना शुरू किया था।
इस वजह से करती थीं अपहरण
ये निर्दयी औरतें बच्चों का अपहरण कर उन्हें भयानक यातनाएं देती थीं, इसके बाद मनमाफिक चोरियां करवाती थीं। जो बच्चा चोरी करने से इनकार कर देता, उसे खौफनाक तरीके से मार दिया जाता। 90 के दशकों में इन बहनों ने 40 से ज्यादा अपहरण किए और 10 बच्चों की निर्मम हत्या कर दी थी। लोग इन्हें जीती जागती चुड़ैल कहने लगे थे। हालांकि, पुलिस को 1996 में तब बड़ी सफलता मिली जब इन बहनों को पकड़ लिया गया।
इन किलर बहनों की कहानी पर फिल्म पाेशमपा भी आ चुकी है।
बच्चों को ऐसे उतारा मौत के घाट
दोनों बहनों के पकड़े जाने के बाद रेणुका का पति सरकारी गवाह बन जाता है, जिसे पुलिस रिहा कर देती है। वहीं दोनों बहनें और उनकी मां पर 40 अपहरण और 10 हत्याओं का मुकदमा चलता है। कोर्ट में इन बहनों की हैवानियत के सबूत पेश किए जाते हैं, जिसमें कई बच्चों को बार-बार छत से सिर के बल पटककर मारना, किसी मासूम को उल्टा लटकाकर मारना, किसी के शरीर में घाव कर करके मार देने जैसे कृत्य शामिल थे।
बच्चों की डेड बॉडी के साथ भी हैवानियत
कोर्ट में यह भी सामने आया कि ज्यादातर बच्चों के रोने पर ये बहनें उन्हें मार देती थी। अपहरण में नाकामयाब होने पर भी मासूमों को जान गंवानी पड़ती थी। बच्चों को मारने के बाद शरीर पर घाव बनाकर ये अजीब डिजान भी बनाती थीं। 2006 में 10 हत्याओं में से 6 हत्याओं में इनके खिलाफ सबूत मिलने पर फांसी की सजा सुनाई गई थी। वहीं इनकी मां अंजनाबाई की सुनवाई शुरू होने से पहले ही मौत हो गई थी। दोनों बहनों की ओर से 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को क्षमा याचिका लिखी गई, जो खारिज कर दी गई। हालांकि, 2022 में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। दोनों किलर बहने पुणे के यरवदा जेल में बंद हैं।
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