आस्था या फिर अंधविश्वास! नंदी को दूध पिलाने की अफवाह से भोलेनाथ के मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
अलीगढ़ से सुंदर सिंह
'हमसफर मित्र न्यूज'
अलीगढ़। भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न समुदाय के लोग रहते हैं. उनकी अपनी आस्था, मान्यताएं ओर परंपराएं भी अजीबो-गरीब हैं, आज चाहे हिंदुस्तान विकसित देश के रूप में ऊभर कर सामने आ रहा है, फिर भी अंधविश्वास पर आंखे मूंद कर विश्वास किया जाता है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में सामने आया है. जहां बिलखोरा गांव के अंदर कई सालों पुराना भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है. गांव के अंदर बने इस प्राचीन भोलेनाथ मंदिर के अंदर भोलेनाथ के पास रखें नंदी की प्रतिमा के दूध पीने की खबर गांव सहित ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरी क्षेत्रों में आग की तरह फैल गई.
दरअसल, ये मामला अलीगढ़ जिले के तहसील खैर क्षेत्र के गांव बिलखोरा का है. वहीं, भोलेनाथ के मंदिर में नंदी के दूध पीने की सूचना गांव से लेकर शहर तक जंगल की आग की तरह फैली तो भोलेनाथ के मंदिरों में भीड़ लग गई. पूरे दिन मंदिर में नंदी के प्रतिमा की दूध पीने की ही चर्चा लोगों में होती रही और देहात से लेकर शहर तक के मंदिरों में दूध पिलाने वालों की लाइन लग गई. ऐसे में इसे लोगों की आस्था कहीं जाएं या फिर भगवान में आस्था रखने वालों का अंधविश्वास,क्योंकि गांवों में मंदिरों में नंदी को दूध पिलाने के लिए पूरे दिन लोगों की भीड़ जुटी रही. इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की कयास और चर्चा होती रही. कहीं नंदी को दूध चढ़ाने पर गायब होने की चर्चा के बाद दूध पिलाने वाले उमड़े तो कहीं सिर्फ चम्मच से ही दूध पीने की बात सामने आई.
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के चलते पुलिस को संभालना पड़ा मोर्चा
बता दें कि, इसके बाद भोलेनाथ के मंदिर में रखी नंदी की प्रतिमा को कटोरी, गिलास,कटोरा, चम्मच सहित आदि बर्तनों से भोलेनाथ के भक्त नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने लगे. ऐसे में भोलेनाथ के मंदिरों पर नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने के लिए उमड़ी भीड़ के बाद मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगने के चलते व्यवस्था चरमरा गई, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस के द्वारा मंदिर पर दूध पिलाने को लेकर लगी श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच मोर्चा संभालना पड़ा.
जानिए क्या हैं पूरा मामला?
गौरतलब है कि इस दौरान बताया जा रहा था कि गांव के अंदर कोई व्यक्ति मंदिर में दूध पान कराने के लिए गया था. उसके द्वारा भोलेनाथ के मंदिर में रखी नंदी की प्रतिमा के मुंह से दूध की कटोरी को लगाया तो उसके बाद कटोरी से दूध धीरे-धीरे गायब होने लगा. ऐसे में कटोरी से दूध गायब देख दूध पिलाने पहुंचा व्यक्ति आश्चर्यचकित रह गया ओर उसके बाद उसने यह बात गांव पहुंचकर गांव के लोगों को बताई. जिसके बाद गांव के लोग हैरान हो गए और उसके बाद खुद लोग अपने-अपने घरों से दूध लेकर भोलेनाथ के मंदिर पर नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने के लिए उमड़ पड़े. वहीं, श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रांगण में पहुंचकर मंदिर के अंदर रखें नंदी की प्रतिमा को एक-एक कर दूध पिलाने लगे. मंदिर में नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने की सूचना पर आसपास के गांव के लोग भी भोलेनाथ के मंदिर पर नंदी को दूध पिलाने के लिए उमड़ पड़े ओर नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाया गया.
मंदिर में प्रतिमा का दूध पीना एक अंधविश्वास है- विशेषज्ञ
हालांकि इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं होना आम बात है लोगों द्वारा जो दूध मंदिर के अंदर रखें नंदी या भोलेनाथ की प्रतिमा को पिलाया जाता है. श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिमा को बुलाया हुआ वह दूध प्रतिमा के सहारे मंदिर से निकलने वाली नाली से होकर बाहर निकल जाता है. जबकि प्रतिमा को दूध पिलाने वाले श्रद्धालुओं को ऐसा लगता है कि उसके द्वारा जो दूध प्रतिमा को पिलाया जा रहा वह दूध प्रतिमा ने पी लिया है. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है. यह सिर्फ लोगों का एक अंधविश्वास है. अब से लोगों की श्रद्धा का है या अंधविश्वास लेकिन मंदिर के अंदर नंदी की प्रतिमा के दूध पिए जाने की चर्चा पूरे क्षेत्र में फैली हुई है.
लोग आज भी विज्ञान के युग में अंधविश्वास के साए में जी रहे
वहीं, गांव की पायल का कहना है कि गांव में पड़ोसियों से सुना था कि मंदिर में जो भोले बाबा के नंदी है वह दूध पी रहे हैं. तो पायल ने भी शिव मंदिर पर पहुंच कर नंदी की प्रतिमा को दूध पिला कर देखते हैं कि आखिर ऐसा होता है कि नहीं? या फिर अंधविश्वास है,या फिर हकीकत में ऐसा है या नहीं हैं.लेकिन जब उसने खुद दूध पिलाया तो नंदी ने दूध पिया था. उसका कहना है कि उसके हाथों से नंदी बाबा ने सच में दूध पिया है. बता दें कि भले ही आज हम 21वीं सदी में जी रहे हो. चाहें विज्ञान ने कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन लोग भले ही चांद सितारों पर पहुंचकर नीचे आने के बाद कहते हो कि हम चांद सितारों पर घूम आए हैं. मगर आज भी लोग इस विज्ञान के युग में अंधविश्वास के साए में ही जी रहे हैं.
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