बच्चे के आंखों में कील ठोंककर हत्या करने वाले तीन आरोपी गिरफ्तार
शनिवार को तीनों आरोपित को जेल भेज दिया गया है।
'हमसफर मित्र न्यूज'
कानपुर। नर्वल के एक गांव में बच्चे को अगवा कर कुकर्म के बाद उसकी हत्या के मामले में पुलिस ने तीनों आरोपितों को शनिवार अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इससे पहले कानपुर आउटर पुलिस ने तीनों दरिंदों को मीडिया के सामने पेश किया, जिसके बाद इस कहानी के एक-एक घटनाक्रम पर से पर्दा उठ गया। वैसे तो दैनिक जागरण ने इस घटनाक्रम से जुड़ एक-एक पहलू के बारे में शनिवार के अंक में ही विस्तार से खबरें प्रकाशित की थी, लेकिन प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान जो नई बात निकलकर सामने आई वह यह थी कि बच्चे को टायर चलाने का शौक अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।
कानपुर आउटर पुलिस लाइन में आयोजित पत्रकार वार्ता में एडिशनल एसपी आदित्य शुक्ला और सीओ ऋषिकेश यादव ने बताया कि पुलिस ने बच्चे के गांव के ही 23 वर्षीय चंदन पुत्र अतर सिंह, 35 वर्षीय बबलू पुत्र हरिप्रसाद और 24 वर्षीय बिल्ली उर्फ कुलदीप पुत्र रामकुमार कुशवाहा को गिरफ्तार किया है। घटनाक्रम के मुताबिक उस दिन बच्चे ने पहली बार साइकिल का टायर डंडे से चलाने का खेल खेला था। वह बहुत खुश था। पिता ने उसे घर से दूर जाने के लिए रोका तो बच्चे ने कहा कि उसे बीस रुपये दो तो आगे नहीं जाऊंगा। पिता ने शाम को पचास रुपये देने का वादा किया। मगर, पिता के आंखों से ओझल होते ही पह टायर लेकर घर से दूर चला गया। यहां चंदन चाट, दारू और नमकीन लेकर खेत की ओर जो रहा था, जहां बबलू पहले से उसका इंतजार कर रहा था। बिल्ली पड़ोस के खेत में सरसों काट रहा था। बच्चे को देखकर चंदन का इरादा खतरनाक हो गया और चालाकी से वह बच्चे को खेत की ओर ले गया।
ग्लब्स पहनकर बबलू ने खेला खूनी खेल
पूछताछ में सामने आया है कि कुकर्म के बाद बिल्ली से बच्चे के प्राइवेट पार्ट में डंडा डाला, जबकि आंख निकालने के बाद वहां कील ठोकने का काम बबलू ने किया। बबलू ने बिजली के काम में प्रयोग आने वाले ग्लब्स पहनकर हत्याकांड को अंजाम दिया। पुलिस ने ग्लब्स भी बरामद कर लिए हैं, जिनमें मानव रक्त की मौजूदगी का साक्ष्य मिल गया है।
बिल्ली के पाप खंगाल रही पुलिस
एडिशनल एसपी ने बताया कि बिल्ली स्वभाव से बेहद क्रूर है। उसे गुस्सा बहुत आता है और तब वह कुछ भी कर गुजरता है। गांव में गाय की पीट-पीटकर हत्या के मामले में पुलिस जांच करेगी और साक्ष्य मिले तो कार्रवाई भी होगी।
मानसिक विक्षिप्त, लेकिन सबसे बाद में टूटा
मुख्य अभियुक्त चंदन गांव में मानसिक विक्षिप्त माना जाता है, लेकिन उसे तोडऩे में पुलिस को सबसे ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी। बल्ली व बबलू के गुनाहर कबूल करने और बेंजाडीन टेस्ट पाजिटिव आने के बाद भी पह गुनाह नहीं कबूल कर रहा था। काफी मशक्कत के बाद वह टूटा और पूरी कहानी बबयां की।
गांव के दस संदिग्धों का हुआ बेंजाडीन टेस्ट
फोरेंसिक विभाग के डाक्टर पीके श्रीवास्तव से जब इस केस के पर्दाफाश को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि मौका-ए-वारदत पर खून पर्याप्त मात्रा में था। कुकर्म की आशंका भी पूरी तरह से थी। यानी इसकी पूरी संभावना थी कि हत्यारों के हाथ, गुप्तांग व कपड़ों में खून जरूर होगा। इस पर पुलिस ने दस संदिग्ध लोगों को उठाया। सभी का बेंजाडीन टेस्ट हुआ, जिसमें यही तीनों पाजिटिव पाए गए। इसके बाद हत्याकांड की कडिय़ां खुलती चली गईं।
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