खैरागढ़ के लिए आखिर कौन होगा उत्तम विधायक ?
चलिए पढ़ते हैं एक नजर में......
'नितीन कुमार' की रिपोर्ट
'हमसफर मित्र न्यूज'
खैरागढ़। आइए हम बात करते हैं आगामी होने वाले खैरागढ़ विधानसभा में उपचुनाव की , जहाँ पर अनगिनत दावेदारों ने अपने अपने क्षेत्रों से ताल ठोंकते हुए दावेदारी की लोगों में सुर्खियां बंटोर रहे हैं। सूत्रों की माने तो दावेदारों के द्वारा इस विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले इच्छुक व्यक्ति इस क्षेत्र से टिकट पाने हेतु नीचे से लेकर ऊपर तक के काफी जोर आजमाइश कर रहे हैं । कुछ लोग रायपुर से लेकर दिल्ली तक उड़ान भर रहे हैं या यूं कहें कि काफी उठा पटक करते हुए जोरों से अपने हाथ पैर चला रहा है। अब ये सब तो लाजमी भी है, आखिर सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है। यदि वह अपने पार्टी का एक निष्ठावान , दमदार , बेदाग कार्यकर्ता है , वहीं जिसकी पकड़ अपने गृह वार्ड एवं क्षेत्रों में काफी तगड़ी हो । जिसने अपना दमखम दिखाते हुए विपक्ष को चुनाव की रणभूमि में पानी पिला दिया हो।
इन दावेदारों में इन दिनों पार्टी के एक ऐसे सदस्य का नाम जोरों से चर्चा में है। जिनकी दमदारी कुछ सप्ताह में हुए पालिका चुनाव में भी हमें देखने को मिला था। हम बात कर रहे उत्तम सिंह ठाकुर की जिन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर वर्षों से स्थापित विपक्ष के झंडे को उखाड़ते हुए वर्षों की परंपरा को तोड़ते हुए काँग्रेस पार्टी के झंडे गाड़ते हुए जीत दर्ज कराया। जिसने पार्टी द्वारा चुनाव में दी गयी जिम्मेदारीयों का पूरी ईमानदारी के साथ बखूबी निर्वहन किया है।
नगरीय चुनाव में अपनी टीम के साथ मिलकर दमदारी के साथ प्रभारी मंत्री के मार्गदर्शन में नेतृत्व किया। उत्तम सिंह ठाकुर बेदाग एवं दमदार छवि वाले एक सफल कृषक भी हैं। जिसने इस पालिका चुनाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिसने विपक्ष को अपने वार्ड से करारा जवाब देते हुए चुनाव में जोरदार लताड़ मारा है।
आपको हम बता दें कि नगर में सदियों से एक ऐसे वर्ग ने राज किया है जिन्होंने सिर्फ अपने ही लोगों का खासतौर पर ख्याल रखा है। चाहे वो किसी भी दल से नाता रखता हो। बस जी हुजूरी करने वाला होना चाहिए जो उनके परिवार का सदस्य हो। जो झुक कर सदैव उनके चरण स्पर्श करते रहे।कांग्रेस पार्टी के इस सदस्य ने अपना दमखम इस तरह से दिखाया है की शायद विपक्ष के पेट में काफी दर्द उठ गया है। वहीं कुछ वार्डों में क्षेत्रीय संगठन के कुछ पदाधिकारीयों ने रत्ती भर भी मेहनत अपने गृह वार्ड में नहीं किया। परिणाम स्वरूप उस वार्ड में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। यही पदाधिकारी वर्तमान में अपनी नाक ऊंची करके विधायक बनने के सपने देखते हुए टिकट की अब मांग कर रहे हैं। इन्हें यही लगता है कि उपचुनाव में सत्ता सरकार किसी भी को टिकट दे देती है तो उनकी जीत निश्चित है। पर इन्हें कौन समझाए की जिन्हें उनके वार्ड में कोई नहीं जानता, जिनकी पकड़ अपने बूथ क्षेत्र में भी नहीं है। जिन्हें पार्टी ने जो जिम्मेदारी के साथ प्रभार सौपा था। वह कार्य भी उनसे थीक से किया न गया बल्कि उल्टा विपक्ष के हाथों करारी हार का मुहं देखना पड़ गया। खैर ... नगर पालिका उपाध्यक्ष अब्दुल रज्जाक से जब हमने बात की तो उन्होंने इस सबन्ध में किसान नेता उत्तम सिंह एवं नवाज खान का अपने बूथ में कड़ी मेहनत किये जाने की बात कही। जिन्होंने बिना कुछ शोर शराबा किये अपनी जवाबदारी बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाया। आज कांग्रेस पार्टी में इनके काफी चर्चे हैं , और हो भी भला क्यों न , क्योंकि ये सीधे , सरल , सौम्य, एवं किसानों के हितैसी जो ठहरे हैं । उत्तम सिंह स्वंय एक किसान हैं। अब ये तो वख्त ही बताएगा कि अगला विधानसभा का टिकट किसे मिलता है। जो शोर शराबा कर दुनिया भर की पैंथरे आजमा कर नौटंकी कर रहा है उसे , या वो जो कुछ सप्ताह पूर्व पीसीसी अध्यक्ष के समक्ष दल बल के साथ पहुंचकर जिंदाबाद -मुर्दाबाद के नारे लगवाया था, उसे! अलाम ऐसा है की जो निष्क्रियता के साथ हार का सामना कर बैठा है वह भी इस दौड़ में दोबारा अपना भाग्य आजमा रहा है। तो कहीं ऐसे भी हैं जो जातिवाद को फेक्टर बनाकर अपनी दमदारी दिखा रहे हैं। वहीं विरासत को सियासत में बदलने की पुरजोर कोसिस में लगी हुई है। महोदय...यदि जातिवाद का फ़ेक्टर होता तो दिवंगत राजा देवव्रत सिंह को विधानसभा चुनाव में जीत नहीं मिलती। गिरवर जंघेल तीसरे नम्बर पर नहीं आते। फिलहाल सूत्रों की माने तो आगामी होने वाले उपचुनाव में कोई नया चेहरा यहां प्रतिनिधि हो सकता है । जो यहाँ पार्टी को लेकर साथ चले जिसकी आस्था कांग्रेस पार्टी के प्रति सदैव रहे। जो कोई वीआईपी नहीं एक आम किसान जन हो। जो खैरागढ़ विधानसभा के लिए उत्तम ही नहीं अतिउत्तम होगा।
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