बड़ा सवाल: क्या वैक्सीन की दोनों डोज संक्रमण से सुरक्षा की गारंटी हैं? अध्ययन में सामने आई यह बात
'हमसफर मित्र न्यूज'
दुनिया के तमाम देशों में कोरोना संक्रमण का खतरा एक बार फिर से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। हाल ही में सामने आए कोरोना के कुछ नए वैरिएंट्स ने वैज्ञानिकों की चिंता और भी बढ़ा दी है। अब तक के तमाम अध्ययनों में दावा किया जाता रहा है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को संक्रमण का जोखिम काफी कम होता है, हालांकि हालिया अध्ययन ने इस दावे पर सवालिया निशान लगा दिया है। बीएमजे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त करने के 90 दिनों के बाद से लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा धीरे-धीरे बढ़ जाता है।
हाल ही में कोरोना के सामने आए नए वैरिएंट्स में कई ऐसे म्यूटेशनों के बारे में पता चला है जो वैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडीज को आसानी से चकमा देने में सफल हो सकते हैं। इस बीच इस अध्ययन में सामने आए परिणाम ने वैज्ञानिकों को बड़ी चिंता में डाल दिया है। अब सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या वास्तव में वैक्सीनेटेड लोगों को कोरोना से सुरक्षित माना जा सकता है? आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
समय के साथ कम होता जाता है टीके का असर
इज़राइल स्थित रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ल्यूमिट हेल्थ सर्विसेज द्वारा किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि शरीर में वैक्सीनेशन से बनी कोरोना के खिलाफ सुरक्षा समय के साथ कम हो जाती है। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों को बूस्टर डोज यानी कि वैक्सीन की तीसरी खुराक देने की आवश्यकता हो सकती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि वैसे तो फाइजर वैक्सीन टीकाकरण के बाद शुरुआती हफ्तों में उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन समय के साथ कुछ व्यक्तियों में इसका असर कम होता जाता है।
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