26/11 हमला: फांसी देख डर गया था मुंबई को दहलाने वाला कसाब, मरने से पहले यह थे उसके अंतिम शब्द - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Friday, November 26, 2021

 


26/11 हमला: फांसी देख डर गया था मुंबई को दहलाने वाला कसाब, मरने से पहले यह थे उसके अंतिम शब्द

'हमसफर मित्र न्यूज' 


नई दिल्ली: भारत के इतिहास में  26 नवंबर, 2008 का वह दिन आज भी प्रत्येक देशवासी के रोंगटे खड़े कर देता है, जब देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में दस आतंकवादियों ने घातक हमला किया था। सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में सफलता मिली। हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए। कसाब को 6 मई, 2010 को विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।  भारत ने कसाब के शव को पाकिस्तान को सौंपने की पेशकश की थी, लेकिन पाकिस्तान के मना करने के बाद जेल में ही शव को दफन कर दिया गया।


डरा हुआ था कसाब

कसाब के आख़िरी पलों के बारे में बात करते हुए मीरन ने बताया कि वह डरा हुआ था, लेकिन उसे मालूम नहीं था कि उसके साथ क्या होने वाला है। 21 नवंबर की सुबह हम उसे फांसी के लिए लेकर गए। नियमों के अनुसार डॉक्टरों, मजिस्ट्रेट और पुणे कलेक्टर फांसी के समय वहां मौजूद थे। कसाब ने फांसी से पहले कई बार माफी मांगी और कहा कि दोबारा ऐसा नहीं होगा। फांसी के समय उसके अंतिम शब्द थे, 'अल्लाह कसम, ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी।' मीरन के मुताबिक, फांसी के बाद उसे करीब सात मिनट तक टंगा रहने दिया गया और फिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया। डॉक्टरों की पुष्टि के बाद कसाब को उसके धर्म के मुताबिक उसका अंतिम संस्कार किया गया।

 

गोपनीय थी कसाब की फांसी

"कसाब की फांसी के मामले में कई एजेंसियां शामिल थीं और इसमें गोपनीयता प्राथमिकता थी। मीरन के मुताबिक, कसाब मुंबई की आर्थर रोड जेल में आईटीबीपी की हिरासत में था और उसे फांसी देने के लिए पुणे ले जाया गया था। कसाब को ले जाने वाली टीम को 36 घंटे तक एक जगह रखा गया और उनसे फोन ले लिए गए, ताकि बाहर कोई बात न जाए।


चुनौतीपूर्ण थी कसाब की फांसी

मीरन के मुताबिक, 36 साल के कैरियर में 2012 में कसाब की फांसी चुनौतीपूर्ण थी। जिस दिन कसाब को फांसी दी जानी थी, उस दिन राकेश और आर.आर पाटिल सर ने मुझे फोन किया था, जिसके बाद मैंने यरवदा जेल जाने का फैसला लिया। मैं अपनी गाड़ी नहीं ले सकती थी, क्योंकि मीडिया को भनक मिल जाती, इसलिए मैं अपने गनर के साथ उसकी मोटरसाइकिल पर बैठकर जेल पहुंची। एसपी और डीआईजी भी बिना सरकारी गाड़ी के जेल पहुंचे और हम सभी ने वह रात जेल में ही बिताई। हमने कसाब को बेहोश करके क्राइम ब्रांच टीम को सौंपा था, ताकि गाड़ी में ले जाते समय उसे कोई देख न ले।



'पंजाब केसरी' 

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