2 अक्तूबर को कुंडलिनी जागृति एवं आत्म साक्षात्कार द्वारा ध्यान का निःशुल्क ऑनलाइन सार्वजनिक कार्यक्रम:
बिल्हा से 'राजेंद्र डहरिया' की रिपोर्ट
'हमसफर मित्र न्यूज'
बिल्हा।अक्तूबर को कुंडलिनी जागृति एवं आत्म साक्षात्कार द्वारा ध्यान का निःशुल्क ऑनलाइन सार्वजनिक कार्यक्रम: भारत की सत्रह भाषाओं में।गांधी जी और शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर 2 अक्तूबर 2021 को भारत की सत्रह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भाषाओं में कुंडलिनी जागृति एवं आत्म साक्षात्कार का ऑनलाइन सार्वजनिक कार्यक्रम किया जाएगा।यह पूर्ण तया निःशुल्क कार्यक्रम परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा प्रणीत सहजयोग द्वारा कुंडलिनी जागृति एवं आत्म साक्षात्कार का अनुभव करने के लिए है, जिसका मुख्य उद्देश्य सबके भीतर मौजूद कुंडलिनी शक्ति की जाग्रति के माध्यम से शारीरिक मानसिक संतुलन, आध्यात्मिक उत्थान और रोग - प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करना है। साधक के भीतर एक बार जब कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती है और उसे अपना आत्म साक्षात्कार मिल जाता है तो उसकी हथेली और तालु पर ठन्डे वाईब्रेशन्स महसूस होते हैं।कुंडलिनी, मनुष्य के आध्यात्मिक उत्थान और बचाव के लिए सबमें अंतर्निहित मातृशक्ति है जो प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है, और व्यक्ति को अपनी सुरक्षा और आध्यात्मिक उत्थान सुनिश्चित करने के लिए बस उसकी जाग्रति करने की जरूरत है। परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी के बताये तरीकों द्वारा सहजयोग ध्यान के माध्यम से अब तक कई देशों के करोड़ों लोगों की कुण्डलिनी का नि:शुल्क जागरण हुआ है, चाहे वे किसी भी जाति, रंग, पंथ, धर्म या नस्ल के हों। इस दिशा में हमारे सभी प्रयास पूरी तरह से निःशुल्क और स्वैच्छिक है और समाज के कल्याण के लिए है। उन्होंने इस ज्ञान को सहजयोग ध्यान के माध्यम से दुनिया भर के करोड़ों लोगों को मुफ्त में दिया। कुंडलिनी जागृति एवं आत्मसाक्षात्कार हमेशा सभी धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं का अंतिम लक्ष्य रहा है और अलग-अलग धर्मों की शिक्षाओं में इसका अलग-अलग तरह से वर्णन किया गया है। यह कुण्डलिनी शक्ति हर व्यक्ति के जीवन में केवल एक ही इच्छा के साथ रहती है की वह उस व्यक्ति के जीवनकाल में जागृत हो सके, और अपने बच्चे की रक्षा कर उसे पूर्ण रूप से आशीर्वादित कर सके। आम लोगों के लिए, कुंडलिनी जागृत की यह प्रक्रिया 1970 में, परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, द्वारा खोजी गई थी। परम पूज्य श्री माताजी निर्मलापरम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने जो स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, सात वर्ष की आयु में महात्मा गांधी के साथ उनके आश्रम में कुछ समय रहीं, उन्होंने अपनी मेडिकल की पढाई असहयोग आंदोलन के लिए छोड़ दी और अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उनके पिता श्री प्रसादराव केशवराव साल्वे प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संविधान सभा के मेंबर थे और शालिवाहन राजवंश के वंशज थे।दुनिया भर में कई सरकारों ने परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी को उनके सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान के कार्य के लिए सम्मानित किया और मानव के आध्यात्मिक उत्थान में उनके योगदान को मान्यता दी। रूसी लोगों द्वारा अनुभव किए गए स्वास्थ्य लाभों के कारण, 1989 में सहज योग को पूर्ण रूप से सरकारी सहायता प्रदान की गई, जिसमें सोवियत संघ के स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि सहजयोग से चिकित्सा पर होने वाले खर्च में कमी आती है। आध्यात्मिक उत्थान के माध्यम से वैश्विक शांति स्थापित करने के उपायों के बारे में बताने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगातार चार वर्षों तक परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी को आमंत्रित भी किया गया था। सेंट पीटरबर्ग में वर्ष 1993 के दौरान परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी को रूस के पेत्रोव्स्का अकादमी ऑफ़ आर्ट एंड साइंस के मानद सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। अकादमी के इतिहास में, केवल बारह लोगों को यह सम्मान दिया गया है, आइंस्टीन उनमें से एक हैं।
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