कविता - आ गया बसंत - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Tuesday, February 16, 2021

 मुक्तक- बसंत पंचमी


           आ गया बसंत

'हमसफर मित्र न्यूज'। 

माघ शुक्ल की बसंत पंचमी,लेकर आयी बहार।

सरस्वती की आराधना से,मिलता ज्ञान अपार।

सरस्वती माँ ज्ञानदायिनी,सुर ताल संगीत देकर।

विद्या का वरदान दो,माँ करो हमारी उपकार।1।

पात पुराने झड़ कर,किसलय चढ़े हजार।

वन उपवन सज जाते हैं,चलती मंद बयार।

है पलाश में लालिमा,आम्रमंजरी की धार।

देखो धरा की दिव्यता,ले आया बसंत बहार।2।

दिशा दिशा में बहती बसंत बयार,लिए नव तरंग।

आ गया बसंत,मन में जागती कल्पनाएं अनंत।

मधुकर का होता गुँजन,कूकती कोयल वन वन।

किसलय का सौम्य रूप,महकता परिमल दिग्दिगंत।3।


*सुन्दर लाल डडसेना"मधुर"*
    साहित्य साधना सभा छत्तीसगढ़
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) पिन- 493558
मोब.- 8103535652
          9644035652
ईमेल- sldmadhur13@gmail.com

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