कोरोना काल में गणपति बप्पा मोरिया - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Monday, August 31, 2020

 


कोरोना काल में गणपति बप्पा मोरिया 

'हमसफर मित्र न्यूज'। 

पूरा देश इस वक्त गणेश उत्सव में डूबा हुआ है, हालांकि कोरोना महामारी के कारण इस बार भव्य तरीके से लोग गणेश उत्सव नहीं मना रहे हैं लेकिन फिर भी भक्तगण अपने-अपने घऱों में बप्पा की पूजा पूरी श्रद्दा के साथ कर रहे हैं, बता दें कि इस बार गणपति उत्सव का पर्व 22 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर तक है , जिसका अर्थ ये हुआ कि 1 सितंबर को गणेश विसर्जन होगा।वैसे तो गणपति कहीं एक दिन, कहीं 3 दिन, कहीं 5, 7 दिन या कहीं पूरे 10 दिन तक विराजते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन ही खत्म होता है और इस बार अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को है।

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त

प्रात:काल का मुहूर्त

सुबह 09:10 बजे से दोपहर 01:56 बजे तक

गणेश विसर्जन का दोपहर का मुहूर्त

दोपहर 15:32 बजे से सांय 17:07 बजे तक

गणेश विसर्जन का शाम का मुहूर्त शाम 20:07 बजे से 21:32 बजे तक गणेश विसर्जन का रात्रिकाल मुहूर्त

रात्रि 22:56 बजे से सुबह 03:10 बजे तक है।

गणेश विसर्जन पूजन विधि

गणेश भगवान का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। और विसर्जन से पहले उनका तिलक किया जाता है। इसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल, मोदक आदि का भोग लगाया जाता है। और इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रोच्चार के साथ उनका पूजन किया जाता है। और उनकी आरती उतारी जाती है। भगवान गणेश जी की पूजा में हम जो भी सामग्री चढ़ाते हैं उसे एक पोटली में बांध दिया जाता है। इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है। इसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश जी के विसर्जन के साथ इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।

गणेश विसर्जन की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी को लगातार सुनाई थी। जिस भगवान गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोलीं तो उन्होंने देखा कि गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो रहा था। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया। इसकी वजह से गणेश जी को चतुर्दशी के दिन शीतल जल में प्रवाहित किया जाता है। इस कथा के अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक ना बढ़े, इसलिए वेद व्यास जी ने गणेश जी के शरीर पर सुगंधित मिट्टी से लेप कर दिया था। और जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया। जिसके बाद वह मिट्टी भी झड़ने लगी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया जाता है। उस समय वेद व्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनके पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान गणेशजी को स्थापित और विसर्जित किया जाता है। इन 10 दिनों में भगवान गणेश को उनकी पसंद का भोजन कराया जाता है। और उनकी पूजा आराधना की जाती है।


पंडित गणेशदत राजू तिवारी मल्हार जिलाध्यक्ष

विश्व ब्राह्मण महापरिषद बिलासपुर छ.ग.।

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