भगवान का एक सुन्दर उपदेश - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Saturday, August 22, 2020

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 🌻🌺 ॐ श्री परमात्मने नमः 🌺🌻

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भगवान का एक सुन्दर उपदेश 
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पं. गणेशदत्त राजू तिवारी जी महाराज, मल्हार। 

'हमसफर मित्र न्यूज'। 

इधर भगवान ने बड़ा सुंदर उपदेश दिया, जो जीवन को बदलने वाला है।


*कोटि विप्र वध लागहिं जाहू*।

*आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू*॥"

*सनमुख होइ जीव मोहि जबहिं*।

*जन्म कोटि अघ नासहिं तबहिं*॥

*निर्मल मन जन सो मोहि पावा*।

*मोहि कपट छल छिद्र न भावा*॥"


चौपाइयाँ गाईं तो बहुत, विचार किया? आपका अतीत कैसा भी हो, अपने अतीत का बहाना लेकर भगवान से छिपते न फिरो।

'क्या करें महाराज! हमारी तो किस्मत में ही भक्ति नहीं लिखी।'

क्यों क्या हुआ? तुम चौपाए हो? पूंछ, सींग वाले हो? रेंगने, उड़ने, तैरने वाले हो? मनुष्य तो हो ना? बस इतना ही पर्याप्त है अधिकारी होने के लिए। अपने भाग्य और पापों का रोना मत रोते रहो। या दो पैरों से संतुष्ट नहीं हो, अगली बार दो पैर और चाहते हो? अतीत को चट्टान बनाकर, उसके पीछे छिपो मत।

भगवान स्पष्ट बुला रहे हैं, कि मेरे सम्मुख आओ तो! तुम्हारे करोड़ों जन्मों के पाप, चाहे पहाड़ ही क्यों न हो, एक क्षण में उनका नाश कर दूंगा।

पाप तो अंधकार है, प्रकाश का अभाव मात्र है, भगवान सूर्य सदृश हैं, प्रकाश स्वरूप परमात्मा के सम्मुख हो जाओ, अंधकार रहेगा कहाँ?

एक छोटी सी शर्त है, बस मन निर्मल हो। सूर्पनखा स्वयं आई थी, पर मन में मल था, कल्याण नह हुआ।

 शबरी अपनी कुटिया में बैठी रही, भगवान ही उसे खोजते हुए पहुँच गए, क्योंकि मन निर्मल था।

पाप की फिक्र मत लो, मन निर्मल कर लो, आपको भगवान को खोजने जाना नहीं पड़ेगा, वे स्वयं आ जाएंगे।

प्रश्न उठेगा कि मन निर्मल कैसे हो? तो अपना हृदय भगवान के सामने खोलकर रख दो, जैसा है वैसा। बस छिपाना कुछ नहीं है। कपट नहीं करना। 'क' माने मन, पट माने 'पर्दा', मन पर पर्दा मत डालना। भीतर कुछ, बाहर कुछ, ऐसा मत करना। बगुला भगत मत बनना, नकली भक्त संसार को तो धोखा भले दे दे, भगवान के यहाँ धोखा नहीं चलता।

विभीषण आया तो भगवान ने उसे बाहों में कसकर गले से लगा लिया और सुग्रीव की ओर देखा। सुग्रीव! तुम कहते थे ना, कि इसे बाँध लो, देखो, मैंने इसे अपने प्रेम के बंधन में बाँध लिया। रस्सी का बंधन तो खुल भी सकता है, मेरे प्रेम का बंधन कभी नहीं खुलता।

भगवान कहते हैं मेरे पास धनुष भी है, बाण भी। धनुष टेढा है, बाण सीधा। तुम सीधे हो तो भी मेरे हो, टेढे हो तो भी मेरे हो। मैं दोनों को अपनाता हूँ। बस तुम विश्वास से मेरे हो जाओ, जैसे पिता पुत्र को कंधे पर चढ़ा लेता है, मैं धनुष बाण कंधे पर रखता हूँ, तुम्हें भी अपने कंधे पर चढ़ा लूंगा।

साधक कहता है कि आज के प्रसंग से हमें भी सांत्वना मिले, कि यदि हम भगवान के हो जाएँ, तो भगवान हमें भी अपना लेंगे।


🙏🏻 गणेशदत राजू तिवारी मल्हार 🙏🏻

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