राम और काम मे क्या अंतर है
जय श्रीराम पंडित प्रदुम्न जी महाराज मुढ़ीपार बिल्हा
९९२६२७३७७२
'हमसफर मित्र'।
अयोध्या में काम आए तो राम निकल गये दोनो एक साथ नही रह सकता है
जहाँ राम तहाँ काम नही,
जहाँ काम तहाँ राम
रवि रजनी नही मिल सके
दोनो एक हि ठाम
अब राम और काम मे क्या अंतर है जो दोनो एक जगह नही टिक सकते
देखिये
सरल अर्थो में समझा जा सके भगवान शंकर जी के तीसरी नेत्रों से जल जाय वह काम है और जो नही जले वह राम है भगवान शंकर ने कामदेव को जलाया था
सौरभ पल्लव मदनु विलोका,
भयऊ कोपु कंपेउ त्रिलोका,,
तब शिव तिसर नयन उघारा,
चितवत काम भयऊ जरि छारा,,
परंतु श्री राम के लिये तिसरा
नेत्र खोले थे
शंकर राम रूप अनुरागे,
नयन पंचदश अति प्रिय लागे,
यह चौपाई भगवान राम जी के विवाह के समय की है
भगवान शंकर अपने पांचो सिर औरअपने तीनों नेत्रो से
श्री राम जी को देखते है और अपने आप को धन्य समझते है
जब भगवान शंकर ने क्रोध से देखा तो कामदेव जल गया
और भगवान राम को प्रेम से देखा तो धन्य हो गया
जय श्री जय जय श्री राम
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