कविता
21 जून पितृ दिवस पर विशेष
'मेरे प्यारे पापा'
कवि - डॉ अलका जैन 'आराधना'
जब मम्मी से पड़ती डांट,
तो पापा मुझे बचाते हैं।
जब मैं हो जाती उदास,
तो मुझे खूब हंसाते है।।
मेरी जिद को करके पुरा,
अकसर मुझे बहलाते है।
खेल खेलते नए-नए,
वक्त मेरे साथ बिताते हैं।।
जब करती मैं गलती कोई,
प्यार से मुझे समझाते हैं।
दिखाकर अपनी मुस्कान,
वो दर्द अपना छिपाते है।।
बड़े प्यार से मुझे पापा,
सही गलत का फर्क बताते हैं।
इसलिए मेरे प्यारे पापा,
सदा ही मुझे भाते है।।
हरिभुमि से साभार
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