नारी जीवन - HUMSAFAR MITRA NEWS

Advertisment

Advertisment
Sarkar Online Center

Breaking

Followers


Youtube

Monday, June 15, 2020


नारी जीवन 

'हमसफर मित्र'। 

एक कवि नदी के किनारे खड़ा था !
तभी वहाँ से एक लड़की का शव
नदी में तैरता हुआ जा रहा था।
तो तभी कवि ने उस शव से पूछा ----

कौन हो तुम ओ सुकुमारी,बह रही नदियां के जल में ?
कोई तो होगा तेरा अपना,मानव निर्मित इस भू-तल मे !

किस घर की तुम बेटी हो,किस क्यारी की कली हो तुम
किसने तुमको छला है बोलो, क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?

किसके नाम की मेंहदी बोलो, हांथो पर रची है तेरे ?
बोलो किसके नाम की बिंदिया, मांथे पर लगी है तेरे ?

लगती हो तुम राजकुमारी, या देव लोक से आई हो ?
उपमा रहित ये रूप तुम्हारा, ये रूप कहाँ से लायी हो?

""दूसरा दृश्य----""

कवि की बाते सुनकर,, लड़की की आत्मा बोलती है..
कवी राज मुझ को क्षमा करो, गरीब पिता की बेटी हुँ !

इसलिये मृत मीन की भांती, जल धारा पर लेटी हुँ !
रूप रंग और सुन्दरता ही, मेरी पहचान बताते है !

कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी, सुहागन मुझे बनाते है !
पित के सुख को सुख समझा, पित के दुख में दुखी थी मैं !

जीवन के इस तन्हा पथ पर, पति के संग चली थी मैं !
पति को मेने दीपक समझा, उसकी लौ में जली थी मैं !

माता-पिता का साथ छोड, उसके रंग में ढली थी मैं !
पर वो निकला सौदागर, लगा दिया मेरा भी मोल !

दौलत और दहेज़ की खातिर, पिला दिया जल में विष घोल !
दुनिया रुपी इस उपवन में, छोटी सी एक कली थी मैं !

जिस को माली समझा, उसी के द्वारा छली थी मैं !
इश्वर से अब न्याय मांगने, शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं ! 7u

दहेज़ की लोभी इस संसार मैं, दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ में !
दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं !

 Roman legend

No comments:

Post a Comment