'निमेटोड' क्या है
'हमसफर मित्र'।
वर्षात के मौसम आते ही किसानों को खेती की चिंता सताती है। किसी भी खेती में कुछ कीड़े हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचाता है। इनमें से एक कीड़े है 'निमेटेड', जो पेड़-पौधे के जड़ों में जाकर उसे नुकसान पहुंचाते हैं।निमेटोड एक प्रकार के बहुत सूक्ष्म धागा नुमा कीट होता हैं। जोकि जमीन के अन्दर पाया जाता है। नेमाटोड कई तरह के होते हैं तथा हर किस्म के नेमाटोड नामक ये कीड़े फसलो को बर्बाद करने के लिए कुख्यात है, ये वर्षो तक मिटटी के नीचे दबे रह सकते है और पौधो को नुकशान पहुचाते है। यह पौधो की जडो का रस चूसते है जिसके कारण पौधे को भूमि से खाद पानी या पोषक तत्व पूरी मात्रा में नही मिल पाते और पौधे की बढ़ाव रुक जाती है। निमेटोड लगने से जड़ो में गांठ बन जाती है जिससे पौधे का विकास रुक जाता है, जिससे पौधा मर भी सकता है। संसार की हर फसल पर इनका प्रकोप होता हैं - जड़ गांठ रोग़,पुटटी रोग,निम्बू का सूखा रोग,जड़ गलन रोग,जड़ फफोला रोग इत्यादि प्रमुख हैं।
इसके द्वारा ग्रस्त होने वाली फसलें :-
निमेटोड द्वारा प्रभावित होने वाली मुख्य फसलें हैं गेंहू, टमाटर, मिर्च, बैंगन, भेंडी, परबल, धान इत्यादि, एवं फलो में अनार,निम्बू,किन्नू,अंगूर एवं समस्त प्रकार के फलों के तथा अन्य पोधे।
कैसे पहचाने ?
आपके पौधे बढ़ न पा रहे हों, पौधे सुखकर मुरझा जाते हैं तथा उनकी जड़ों में गांठे पड़ गई हो एवं उनमे फल और फूल की संख्या बहुत कम हो गई हो।
जैविक समाधान व पौध संरक्षण :-
मिटटी में रसायन छिड़क कर मारने का प्रयास महंगा ह़ी नहीं बल्कि निष्प्रभावी भी होता है। निमेटोड और दीमक आदि कीड़ो को प्रभावी रूप से खत्म करने के लिए नीमखाद पाउडर का इस्तेमाल ह़ी ज़रूरी है। इसके लिए नीम खली का तेल युक्त होना आवश्यक है। होता ये है कि नीम खाद नीम खली के इस्तेमाल से नेमाटोड बनना रूक जाते है। नीमखाद के इस्तेमाल से उपज में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि भी होती है और फूलो का ज्यादा बनना तथा फलो की संख्या भी बढती है तथा फलो का ज्यादा स्वादिस्ट, चमकदार एवं आकार बड़ा तथा ज्यादा वजनदार बनता है।
उपचार :-
फसलो की लिए - गर्मिओं के मौसम में मिट्टी की गहरी जुताई करें तथा एक सप्ताह के लिए छोड़ दें। बुवाई से पहले नीम खली 10 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से डाल कर फिर से जुताई करे इसके बाद ही बुवाई करे।
फलो के लिए - अनार,निम्बू,किन्नू,अंगूर एवं समस्त प्रकार के फलों के और अन्य पौधे के रोपण के समय एक मीटर गहरा गड्ढा खोद कर नींम खली एव सड़े गोबर की खाद / बकरी की मिंगन आदि मिटटी में अच्छी तरह मिला कर पौधे रोपण करे। अगर पौधे पहले से लगा रखे है तो भी पौधो की उम्र के हिसाब से नीम खाद की मात्रा संतुलित करे। 1 से 2 साल तक के पौधे में 1 किलो एवं 3 से 5 साल तक के पौधे में 2 से 3 किलो प्रति पौधे के हिसाब से डाल कर पौधे की जड़ों के पास थाला बना कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर पानी देना है । तथा नीम तेल घुलनशील भी ड्रिप के साथ चलावे।
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