कविता - 'नारी'।। - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Sunday, May 17, 2020


                    नारी।।


नारी तेरी अजब गाथा अजब कहानी है।
नारी बिना पुरूष की अधूरी जिंदगानी है।।

मां बनकर सम्मान पाती घर घर में पूजी जाती है।।
पडोसी और रिश्ते दारों से मां ही रिश्ता निभाती है।

बहन बनकर राखी बांधती रक्षा की याद दिलाती है।
भाई बहन का प्यार सदा पवित्र मानी जाती है।।

नारी किसी से कम नही पुरुषों से कदम मिलाती है।
सेना हो या सिपाही आज वायुयान उड़ाती है।।

जीवन संगनी के बिना फीकी लगती जिंदगानी है।
कभी प्रेमिका कभी कामिनी लगती मेरी दीवानी है।।

ममता और वात्सल्य लुटाती लगती जैसे दानी है।
मित्र बनकर सलाह देती जैसे सच्चा ज्ञानी  है।।

एम.एल. तिवारी - बिल्हा वार्ड नं पांच, बिलासपुर, छ.ग।।

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