'आपका सेहत'
कैसे आते हैं हार्ट अटैक, जाने कारण लक्षण और बचने का उपाय
लेखक - मनितोष सरकार (संपादक)
'हमसफ़र मित्र न्यूज'
एक आंकलन के मुताबिक भारत में प्रति एक मिनट में 4 व्यक्तियों की मृत्यु हार्ट अटैक से होने की चौकाने वाली खुलासा किया गया है। रोजमर्रा की जिंदगी में भागदौड़ और खानपान में अनियमितता से अब अधेड़ ही नहीं कम उम्र के व्यक्तियों को भी हृदय संबंधित बिमारी काफी नजर आ रहे हैं। खाद्य पदार्थ में मिलावट और खेतों में शक्तिशाली कीटनाशक का इस्तेमाल भी इसका मेन वजह माना जाता है। बाजारों में मिलने वाली खाद्य पदार्थों में एक ही तेल का बार बार इस्तेमाल भी इसका जिम्मेदार हैं। मोटापा (ओबेसिटी) भी हृदय रोगों को आमंत्रित करते हैं, दुनिया में भारत मोटापे के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है जो हृदय रोगों को बढ़ावा दे रहे हैं। दुनिया में जापान एक ऐसा देश है जहां हृदय रोगों का सबसे कम मामले सामने आते हैं, कारण वहां दिनचर्या, खानपान, रहन सहन आदि तथा स्वास्थ्य के प्रति अपना ध्यान रखना है।
बिलासपुर स्थित लाइफ केयर अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रूपेश श्रीवास्तव के मुताबिक दैनिक दिनचर्या और खानपान तथा नियमित कसरत से हृदय रोगों पर काबू पाया जा सकता है। हृदय रोग का लक्षण दिखते ही तत्काल उपचार से मरीजों का जान शतप्रतिशत बचाया जा सकता है। कम जागरूकता के वजह से हृदय रोग को पहचान नहीं कर पाना और साधारण दर्द एवं गैसटीक समझकर रोगी को तत्काल उपचार नहीं हो पाना ही मौत का कारण है। कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि हार्ट अटैक सुबह के वक्त आता है, जबकि ऐसा नहीं है। हार्ट अटैक कभी भी किसी भी वक्त आ सकती हैं। हा, सुबह इसका शिकायत कुछ हद तक ज्यादा होती है।
समय के साथ कोरोनरी आरटेरी (Coronary Artery) की दीवारो पर चिकनाई (वसा) जमती रहती है। कैलशियम और अन्य चीज भी उस चिकनाई में जमा होते रहते हैं, उस जमाव को प्लाक (Plaque) कहते हैं। प्लाक (Plaque) के कारण कोरोनरी आरटेरी का अंदर का व्यास कम हो जाता है, इस कारण दिल के विभिन्न भागों को खून कम मिलता है और दिल सही तरह से काम नहीं कर पाता है। जब प्लाक (Plaque) की वज़ह से कोरोनरी आरटेरी (Coronary Artery) में रक्त प्रवाह रुक जाता है तो दिल में खून की सप्लाई बंद हो जाती है। इसे दिल का दौरा या हार्ट अटैक (Heart attack) कहते हैं।
हार्ट अटैक का कारण :
• खराब कोलेस्ट्राल एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) का बढ़ना।
• उच्च रक्तचाप (हाईपर टेंसन)।
• डायबिटीज (मधुमेह)।
• मोटापा (ओबेसिटी)।
• तनाव।
• असंतुलित आहार।
• व्यायाम या शारीरिक श्रम में कमी
।
हार्ट अटैक का लक्षण :
* दिल के दौरे के लक्षण अलग अलग होते हैं। कुछ लोगों में हल्के लक्षण होते हैं। दुसरों में गंभीर लक्षण होते हैं। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं।
दिल के दौरे के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं -
• छाती में दर्द जो दबाव, जकड़न, दर्द होना एवं सीने में ऐठन होना।
• त्वचा पर चिपचिपाहट, उनींदापन, सीने में जलन महसूस होना जैसे एसीडीटी होता है।
• पसीना आना एवं सांस फूलना।
• महिलाओ में हार्ट अटैक आने पर कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते है। जैसे गर्दन, हाथ या पीठ में हल्का या तेज दर्द महसूस होना। कभी-कभी दिल के दौरे का पहला लक्षण अचानक कार्डियक अरेस्ट होता है।
• मितली आना, उल्टी होना।
• हाथों, कंधों, कमर या जबड़े में दर्द होना।
• असामान्य रूप से थकान होना और बेचैन लगना।
* कुछ हार्ट अटैक के दौरे अचानक आते हैं। लेकिन कई लोगों को घंटों, दिनों या हफ़्तों पहले ही चेतावनी के संकेत और लक्षण दिखने लगते हैं। सीने में दर्द या दबाव (एनजाइना) जो लगातार होता रहता है और आराम करने पर भी ठीक नहीं होता है। यह शुरुआती चेतावनी संकेत हो सकता है। एनजाइना हृदय में रक्त के प्रवाह में अस्थायी कमी के कारण होता है।
मेंटेनेंस के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार :
• पानी में नींबू का रस मिलाकर रोज पीएं।
• फलों में अमरूद, अनन्नास, मौसमी, लीची और सेब का इस्तेमाल करें।
• सब्जियों में अरबी और चौलाई जरूर खाएं।
• खाने में दही जरूर खायें।
• दिल को मजबूत करने के लिए देसी घी में गुड़ मिलाकर खाएं।
* रोज सुबह खाली पेट एक कली लहसुन सेवन करें।
बचाव :
• हार्ट अटैक होने पर रोगी को लिटा दें और जितना हो सके उसके आसपास खुला वातावरण रखें।
• रोगी के कपड़ो को ढीला कर दें।
• संयम बरतते हुए हथेलियों से रोगी की छाती पर तेज और जोर से दबाव डालें। हर दबाव के बाद छाती में मौजूद कम्प्रेशन को रिलीज करने का प्रयास करें।
• इस प्रकिया को 25 -30 बार दोहराएं।
• इससे रोगी की धड़कनें फिर से लौट आएंगी।
• बिना विलम्ब किये एम्बुलेंस को बुलाए।
• डॉक्टर से फोन पर संपर्क कर डॉक्टर की सलाह का सही तरीके से पालन करें।
* धुम्रपान, मदिरापान करते हैं तो उसे बंद कर दें।
* डॉक्टर से सलाह लेकर एस्प्रीन की गोली सेवन करें ताकि खून पतला हो सके।
* घबराना नहीं है, धैर्य रखें और नजदीकी अस्पताल से प्राथमिक उपचार लेकर स्पेशलिस्ट के पास जाए।
No comments:
Post a Comment