सतनामी समाज के गुरु बालदास ने कांग्रेस को किया बाय-बाय, बीजेपी में हुए शामिल
'हमसफर मित्र न्यूज'
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सतनामी संप्रदाय के गुरु बालदास और उनके बेटे ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है. वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. सतनामियों को राजनीतिक दलों के लिए एक प्रमुख वोट बैंक माना जाता है. गुरु बालदास और बेटे खुशवंत दास 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
छत्तीसगढ़ में चुनावी साल है. राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है. पिछले कुछ दिन में भारतीय जनता पार्टी में प्रमुख चेहरे जुड़ने का सिलसिला जारी है. इनमें एक नाम सतनामी संप्रदाय के आध्यात्मिक गुरु बालदास साहब का भी है. उन्होंने अपने दो बेटों और एक बेटी की भी बीजेपी में एंट्री करवाई है. वे अब तक सत्तारूढ़ कांग्रेस का हिस्सा थे. गुरु बालदास को अनुसूचित जाति के लोगों में अच्छी खासी पकड़ रखने वाला माना जाता है. ऐसे में कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले आध्यात्मिक गुरु के पाला बदलने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और चुनावी समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में गुरु बालदास को इलेक्शन गेम चेंजर के नाम से भी जाना जा रहा है. वो सतनामी समाज के बहुत बड़े आध्यात्मिक चेहरे हैं. कहा जाता है कि उन्होंने अब तक जिस पार्टी के लिए कैंपेनिंग की जिम्मेदारी उठाई है, वो दल सत्ता में पूर्ण बहुमत से काबिज हो जाता है. भले वो साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी के लिए कैंपेनिंग करना हो या 2018 में कांग्रेस में शामिल होकर सतनामी समाज का समर्थन दिलाना हो.
बीजेपी में वापसी से गड़बड़ा सकते हैं समीकरण?
कहा जाता है कि 2013 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के पीछे गुरु बालदास की मेहनत का परिणाम भी था. हालांकि, 2018 के चुनाव से पहले वो बीजेपी से नाराज हो गए थे और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन, अब 2023 में चुनाव से ठीक तीन महीने पहले उन्होंने फिर बीजेपी में वापसी की है. गुरु बालदास ने अपने दोनों बेटे खुशवंत साहब, सौरभ साहब और बेटी को भी भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलवाई है.
बड़े बेटे ने टिकट की दावेदारी की
गुरु बालदास के बड़े बेटे खुशवंत साहब ने रायपुर के पास आरंग सीट से चुनावी दावेदारी भी कर दी है. कयास लगाया जा रहा है कि अगर सर्वे की रिपोर्ट में सकारात्मक परिणाम आते हैं तो खुशवंत को टिकट मिलना तय है. बताते चलें कि छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्र कुमार भी सतनामी संप्रदाय के गुरु परिवार से हैं.
राज्य की 20 सीटों पर सतनामी समाज का दबदबा
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. इनमें 20 सीटों पर सतनामी समाज का दबदबा माना जाता है. ऐसे में हर राजनीतिक दल इस समाज को बड़ा वोट बैंक मानकर साधने की कोशिश करता है. छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से अनुसूचित जाति की अधिकांश आबादी बाबा गुरु घासीदास द्वारा स्थापित सतनामी संप्रदाय में बहुत आस्था रखती है. राज्य की आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी करीब 14% है. वे अधिकतर मैदानी इलाकों में बसे हुए हैं. 2013 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी को कांग्रेस से 10 सीटें ज्यादा मिली थीं और 2018 में कांग्रेस को 71 और बीजेपी को 14 सीटें मिली थीं.
क्या कहते हैं चुनावी नतीजे....
- जानकारों के अनुसार, बालदास का बीजेपी में एंट्री राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. उनका एससी आबादी के बीच काफी प्रभाव है. एससी समुदाय को पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता था.
- 2013 के विधानसभा चुनावों में यह वोट बड़े पैमाने पर बीजेपी में ट्रांसफर हो गया था. तब बीजेपी को 10 एससी सीटों में से 9 और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी.
- हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था.
- एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 10 विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर जीत हासिल की थी. बाकी तीन सीटों में से बीजेपी को दो और बीएसपी को एक सीट मिली थी.
बीजेपी में शामिल होने के बाद क्या बोले गुरु बालदास....
बालदास ने कहा, अन्य लोगों की तरह उन्होंने भी आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारी का दावा किया है और उन्होंने आरंग विधानसभा सीट से अपने बेटे खुशवंत दास के लिए टिकट मांगा है. बालदास ने कहा कि वह अपने समुदाय के उत्थान के लिए 2018 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन सत्तारूढ़ दल ने उनकी उपेक्षा की और उनका अपमान किया.
- हमने सोचा था कि कांग्रेस हमारे समाज के उत्थान, हमारे धार्मिक स्थलों के विकास और आजीविका और रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में काम करेगी, लेकिन पिछले पांच वर्षों में हमारे समाज को पूरी तरह से उपेक्षित और अपमानित किया गया.
- (मुख्यमंत्री) भूपेश बघेल सतनामी संप्रदाय के विकास की बात नहीं करते. अब राज्य में भाजपा की सरकार बनाने में हमारी भूमिका होगी.
- अन्य लोगों की तरह हमने भी उम्मीदवारी के लिए दावा किया है. मैंने आरंग विधानसभा सीट (एससी वर्ग के लिए आरक्षित) से अपने बेटे खुशवंत के लिए टिकट मांगा है. लेकिन मैं पार्टी (बीजेपी) के फैसले का पालन करूंगा.
कौन हैं कांग्रेस सरकार में मंत्री गुरु रुद्र कुमार?
गुरु रुद्र कुमार को भूपेश बघेल सरकार में सबसे युवा मंत्री कहा जाता है. गुरु रुद्र कुमार साल 2007 में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. कांग्रेस ने 2008 के चुनाव में गुरु रुद्र कुमार को आरंग विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की. गुरु रुद्र कुमार ने बीजेपी के उम्मीदवार संजय ढीढी को एक हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. उसके बाद साल 2013 में वो आरंग सीट से चुनाव लड़े और हार गए थे. BJP के नवीन मार्कंडेय ने चुनाव जीता. बाद में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गुरु रुद्रकुमार का निर्वाचन क्षेत्र बदला और अहिवारा सीट से उम्मीदवार बनाया. गुरु रुद्र कुमार चुनाव जीतकर आए और कांग्रेस सरकार ने मंत्री बनाया.
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