[सेहत]
कई देशों में बढ़ रहे मंकीपॉक्स के मामले, जानिए कितना खतरनाक है यह वायरस? क्या हैं इसके लक्षण और इलाज?
लेखक - 'मनितोष सरकार' (संपादक)
'हमसफर मित्र न्यूज'
कोरोना महामारी के चौथी लहर आने की सूचना के बीच अब कई देशों में मंकीपॉक्स वायरस के मामले मिलने लगे हैं। हालांकि मंकीपॉक्स कोई नए बीमारी नहीं है। यह बीमारी आज से 64 साल पहले पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में केवल बंदरों में पाया गया था। उस समय मानव शरीर में इसका असर नहीं दिखा गया था। पहली बार मनुष्यों में यह रोग 12 वर्ष बाद 1970 में कांगो में देखा गया था। कांगो में एक 9 साल के बच्चे को मंकीपॉक्स वायरस का पुष्टि हुआ था। यही से यह वायरस मनुष्यों के शरीर में भी पाया जा रहा है।
हाल ही में मई 2022 में ब्रिटेन में शुरू हुए मंकीपॉक्स वायरस के मामलों की अब कनाडा और स्पेन, अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, पुर्तगाल, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, इजराइल, आस्ट्रिया तथा स्वीटजरलैंड समेत दर्जनों से अधिक देशों में पुष्टि हो चुकी है। संक्रमित लोगों में से ज्यादातर मरीज युवा वर्ग के हैं। मंकीपॉक्स के लिए जिम्मेदार वायरस बंदरों और अन्य जंगली जानवरों में जैसे गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे आदि से पैदा होता है। इससे संक्रमित ज्यादातर मरीजों में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगने और थकान के लक्षण देखे गए हैं। गंभीर मामलों में मरीजों के चेहरे, हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों पर चकत्ते व दाने भी निकल सकते हैं।
क्या है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स, मंकीपॉक्स नामक वायरस के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो चेचक की तरह ही है। हालांकि, आमतौर पर यह ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं है। यह एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो वायरस का एक जीनस है जिसमें वेरियोला वायरस भी शामिल है, जिसके चलते चेचक होता है। इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल चेचक के टीके में किया गया था। आम तौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के दूरदराज के हिस्सों में होने वाला यह वायरस पहली बार 1958 में बंदरों में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह मामला 1970 में दर्ज किया गया था।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आते है। वायरस त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। मानव-से-मानव में यह आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है। पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के माध्यम से फैल सकता है। मंकीपॉक्स को आमतौर पर सेक्सुअली फैलने वाला रोग नहीं माना जाता है, हालांकि सेक्स के दौरान यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।
क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती हैं। कभी-कभी 5 से 21 दिनों तक भी हो सकती हैं। इसमे बुखार, सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, मांसपेशियों में दर्द, सूजन और पीठ दर्द तथा थकान शामिल हैं। शुरुआती दौर में चेचक जैसा ही प्रतीत होता है। 1 से 3 दिन के अंदर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, और वह दाने फटते भी है। ये दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवे को अधिक प्रभावित करते हैं। ऐसा ही नहीं शरीर के अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकता है। संक्रमण आमतौर पर दो से चार हफ्ते तक रहता है और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है।
क्या है इसका इलाज?
मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है, हालांकि अधिकांश मामले हल्के होते हैं। जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमण रोगियों के जैसे 21 दिनों के लिए करेंटाइन अथवा कमरे में अलग-थलग किया जा सकता है। अभी कई देशों में ऐसा किया जा रहा है। रोगियों को अलग करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा निगरानी की जाती है। हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।
कितना खतरनाक है यह वायरस
ऐसे तो विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस कोई ज्यादा खतरनाक नहीं है। पश्चिम अफ्रीका में कुछ मौतें जरूर हुई हैं, इसलिए मंकीपॉक्स के मामले कभी-कभी अधिक गंभीर हो सकते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इसका ज्यादा खतरा नहीं है और आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है।
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