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Saturday, February 12, 2022

 

सैंकडों वर्ष पुरानी इस जेल में रहता है सिर्फ एक कैदी, सरकार को हर महीने खर्च करने पडते हैं इतने हजार रुपए

'हमसफर मित्र न्यूज' 


 गुजरात के एक छोर पर बसे द्वीप दीव की गिनती मशहूर पर्यटन स्थलों में होती है। केंद्रशासित प्रदेश के रूप में जानी जाने वाली इस द्वीप की खूबसूरती देखने को बनती है। पुर्तगाल की कॉलोनी रह चुके दीव में एक ऐसा जेल है जिसमें केवल एक कैदी रहता है। जी हां, 472 साल पुरानी इस जेल में इस एक कैदी के अलावा और कोई नहीं रहता है। इस कैदी का नाम दीपक कांजी है और वह 33 वर्ष का है।


मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, 33 वर्षीय दीपक 20 लोगों के रहने के लिए बने एक सेल में रहता है। जहां उसे दूरदर्शन और कुछ आध्यात्मिक चैनल देखने की अनुमति दी गई है। यहां वह गुजराती अखबार और पत्रिकाओं को पढ़ता है। शाम 4 बजे से शाम 6 बजे के बीच गार्ड उसे टहलाने के लिए लेकर जाता है। इस दौरान दीपक गार्ड के साथ अपने मामले की सुनवाई और भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें करता है। चूंकि दीपक इकलौता कैदी है इसीलिए उसके लिए खाना किले के पास स्थित एक रेस्टोरेंट से मंगाया जाता है।


वर्तमान समय में दीपक को दूसरे किसी अन्य जेल में भेजने की बात की जा रही है। इसके बाद इस ऐतिहासिक धरोहर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंप दिया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बाकी राज्यों की अपेक्षा दमन औश्र दीव में कैदियों पर ज्यादा खर्च किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, यहां प्रत्येक कैदी पर 32,000 रूपये का खर्चा आता है।


बता दें, साल 2013 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस जेल को अपने अधीन लेने की गुजारिश की थी। ऐसा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। उस समय इस जेल में सात कैदी थे जिनमें से दो महिला थी। इन कैदियों में से चार को दीव से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमरेली जेल में भेज दिया गया है। दो कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली है।


तब से यहां केवल दीपक कांजी ही इकलौता कैदी है। अपनी पत्नी को जहर देने के मामले में दीव सेशन कोर्ट में दीपक की सुनवाई की जा रही है। कांजी के मामले की सुनवाई पूरी हो जाने के बाद इस जेल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अपने अंडर ले लेगी। पुर्तगालियों द्वारा बनाए गए इस किले को अपने अधीन लेने के बाद एएसआई वहां ‘लाइट एंड साउंड’ शो शुरू करने की योजना पर भी विचार कर रहा है।


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