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Thursday, February 24, 2022

 

मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र? जानिए इस देश की कुछ रोचक बातें

'हमसफर मित्र न्यूज' 


यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित भारतीय दूतावास ने अभी 15 फरवरी को ही एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें यूक्रेन में रह रहे भारतीय स्टूडेंट्स को सलाह दी गई है कि वे जितनी जल्दी हो सकें, देश छोड़ कर अपने घर चले जाएं। यह मशविरा यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की परिस्थितियों के मद्देनजर जारी किया गया है। ऐसे में सवाल ये उठता है आखिर यूक्रेन में भारत के छात्र-छात्राएं हैं कितने? जो दूतावास को बड़े स्तर पर उनके लिए मशविरा जारी करना पड़ा और भारतीय छात्र-छात्राओं को यूक्रेन में जाकर पढ़ने की जरूरत ही क्यों पड़ती है? आइए इनका जवाब जानने का प्रयास करते हैं।


यूक्रेन में कितने भारतीय स्टूडेंट्स हैं

एक आकलन के मुताबिक, यूक्रेन में इस वक्त करीब 20,000 भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। यह आंकड़ा बीते महीने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत ने दिया था। इनमें से अधिकांश मेडिकल से जुड़ी शाखाओं की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं जैसे- एमबीबीएस, डेंटल, नर्सिंग आदि। बताया जाता है कि करीब 2-3 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं तो उन इलाकों में ही हैं, जिनकी सीमाएं रूस से लगी हुई हैं। रूस ने इन सीमाई इलाकों में करीब 1.30 लाख सैनिकों को पूरे साजो-सामान के साथ युद्ध के लिए तैनात कर रखा है। रूस अमेरिका के साथ यूक्रेन की बढ़ती नजदीकी से नाराजगी है।


भारतीय स्टूडेंट्स के यूक्रेन जाने का कारण

भारत में अभी MBBS की करीब 88 हजार सीटें हैं। इनके लिए 2021 में ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में लगभग 8 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। यानी करीब 7 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना ऐसे हर साल अधूरा ही रह जाता है। दूसरी बात - भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई का खर्च बहुत महंगा है। यहां निजी मेडिकल कॉलेजों में लगभग 1 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है। इसके ठीक उलट यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का कुल खर्च करीब 25 लाख के आसपास पड़ता है। इसके अलावा वहां मेडिकल कॉलेजों में एंट्री के लिए कड़ी परीक्षा या रिश्वत आदि देने का भी झंझट नहीं होता।  तीसरा- वहां से पढ़ाई पूरी कर के लौटने के बाद अगर छात्र भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन (FMGE) पास कर लेता है, जो कि प्रैक्टिस शुरू करने के लिए अनिवार्य माना जाता है, तो रोजगार की पुख्ता गारंटी भी हो जाती है।


अभी भारतीय स्टूडेंट्स का हाल

यूक्रेन की खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रूस की सीमा से सिर्फ 35 किलोमीटर ही दूर है। यहां और इसके जैसे अन्य कई इलाकों के छात्रों में डर बना हुआ है। यहां के कुछ भारतीय स्टूडेंट्स ने मीडिया को अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि, ‘शहर के चौराहों पर सैन्य टैंकों की तस्वीरें लगी हैं। सीमा पर गश्त करते हेलीकॉप्टरों की आवाजें हमें दिन-रात जोर-जोर सुनाई देती हैं। इससे हमें अपनी जान का बहुत डर है। हम चाहते हैं कि हमारी सरकार हमारे लिए कुछ करे क्योंकि हम ये नहीं जानते हैं कि युद्ध होगा या नहीं।’

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