करोना से बचाएगा नवागढ़ का यह स्पेशल चावल, इम्युनिटी भी करता है मजबूत
स्वाद और सेहत से भरपूर चावल
बनाएगा सेहत, होते हैं कई औषधीय गुण...
नवागढ़ से 'अमर तिवारी' की रिपोर्ट
'हमसफर मित्र न्यूज'
नवागढ़। छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में तैयार होने वाला खास प्रजाति काला नमक धान अब नवागढ़ के मैदानी इलाके में लहलहा रहा है। यह महज धान नहीं रह गया है। नवागढ़ के शंकर नगर निवासी किसान किशोर राजपूत ने औषधीय धान काला नमक की खेती की है। इसे काला जीरा नाम से भी जाना जाता है। तमाम गुणों से भरपूर काला नमक धान को यहां के वैज्ञानिकों ने शोध करके शुगर फ्री बनाया है। यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए काफी लाभकारी है।
तीन से चार फीट लंबी लटकती बाली :
काला नमक धान की तीन से चार फीट लंबी लटकती काली बाली और मनमोहक सुगंध लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मूलत: दक्षिण कोरिया और चीन की इस प्रजाति के धान की खेती के लिए भारत में मणिपुर और छत्तीसगढ़ मशहूर हैं। अब यह अन्य राज्यों में भी पैदा किया जाने लगा है।
दुकानदारों ने दिखाया रास्ता :
किसान किशोर राजपूत ने बताया कि ब्लैक राइस की खेती के बारे में उन्हें दुकानदार ने बताया था। औषधीय गुण वाले इस चावल में शुगर नहीं होता है। यह धान अन्य स्थानीय प्रजातियों से महंगा बिकता है। किशोर ने काले चावल का बीज बस्तर के एक किसान से मंगाया था। बीज थोड़ा महंगा 500 रुपये किलोग्राम के हिसाब से मिला। आधा किलो बीज लाकर उन्होंने 10 डिसमिल में इसकी खेती की है और बेहतर उत्पादन लिया है।
रंग लाने लगी किसान की मेहनत :
काले धान की काली बालियां पककर तैयार हैं। किशोर ने बताया कि आने वाले समय में इसकी खेती और बढ़ाएंगे। अब इलाके के कई किसान प्रेरित होकर उनके संपर्क में आए हैं। यहां का वातावरण भी काला धान पैदा करने के लिए अनुकूल है।
सिचाई की कम जरूरत
: काला नमक धान तैयार करने में कम पानी की जरूरत पड़ती है। इसकी कम सिचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में भी पैदावार की जा सकती है। इसे तैयार होने में करीब 150 से 160 दिन लगते हैं। आमतौर पर इस चावल की कीमत 100 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम है।
कई गंभीर रोगों में माना जाता है उपयोगी :
मधुमेह रोगियों के लिए काला धान कमाल की चीज है। इसकी खेती स्वास्थ्य को लाभ भी देती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने समेत कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। शुगर फ्री होने के अलावा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को रोकने की इसमें क्षमता है। एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होता है। आयरन, विटामिन, कैल्शियम व जिक का भी इसमें खजाना है।
किशोर राजपूत ने बताया कि विश्व में जितनी भी चावल की प्रजातियां पाई जाती हैं, इन सब में सबसे अधिक औषधीय गुण काले चावल में पाया जाता है। काला चावल में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन बहुत कम मात्रा में मिलती है। इसीलिए यह चावल शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
कालानमक चावल के फायदे
1 कालानमक चावल को आयरन और जिंक की कमी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कालानमक चावल के नियमित सेवन से अल्जाइमर की बीमारी से बचाव होता है। यह चावल में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व कुपोषण से लड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
2 रिपोर्ट के अनुसार, सौ ग्राम कालानमक चावल में लगभग 10.04 ग्राम प्रोटीन, 68.13 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 4.96 ग्राम फाइबर मौजूद होते हैं। ये सभी तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक होते हैं। भोजन में मौजूद पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं। इससे आप पेट से संबंधित बीमारियों से बचे रहते हैं। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को बनाए रखता है।
3 ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने में भी कालानमक चावल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। प्रोटीन से मासपेशियों को मजबूती मिलती है। दिल और फेफड़ों के साथ ऊतकों को भी स्वस्थ रखता है। शरीर से मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालता है।
4 इसमें कार्बोहाइड्रेट भी अधिक होता है, जो शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। आयरन और जिंक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं।
5 इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) की मात्रा भी कम होती है। ऐसे में इस चावल को डायबिटीज रोगी खा सकते हैं। यदि आप कोरोनावायरस के संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कालानमक चावल का सेवन करना शुरू कर दीजिए।
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